सीखना दिल से | LEARNING THE HEART'S WAY
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
80
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सीखना... दिल से 26
नहीं थीं। उनमें ब्रश के स्पर्श से रचा गया रंगों का ऐसा तालमेल था जो
गहराई का भ्रम पैदा करता था। जब मुझे भी उनके कैन्वस के छोटे-से
हिस्से को चित्रित करने का मौका मिला मैं तो रोमांचित हो गई। उन्होंने
मुझसे रंगों के बारे में बात की और दिखाया कि कैसे कुछ खास रंग “भीतर
जाते” प्रतीत होते हैं और कुछ “बाहर निकलते” से लगते हैं। उन्होंने मुझे
भारत और पश्चिम के कला-परिदृश्य पर अपने विचार बताए और यह
समझाया कि एक शौकिया कलाकार की तरह “संघर्ष” करने का क्या
मतलब होता है।
“अमेरिका में हुई एक प्रदर्शनी में मैंने एक चित्र देखा। एक विशाल कैन्वस
जो बस एक छोटे-से सफेद तारे के अलावा पूरी तरह से काला पुता था,
और उसे शीर्षक दिया गया था, “एकाकी तारा”।| और....... क्या तुम
अनुमान लगा सकती हो कि उस पर कितनी कीमत की चिट लगी होगी?
30,000 अमरीकी डॉलर! क्या तुम कल्पना कर सकती हो! वे विस्मित
स्वर में बोल पड़ीं |
उन्होंने कहा कि यदि मुझे सचमुच में वह कला सीखने में दिलचस्पी हो
तो वे चेन्नई के अपने एक कलाकार मित्र से मेरा सम्पर्क करा देंगी और
उन्होंने मुझे उस मित्र का फोन नम्बर भी दिया।
किसी भी युवा की भाँति मुझे भी सितारों की दुनिया गुदगुदाती थी और
मुम्बर उस दुनिया की केन्द्र-स्थली थी। इसे मैं बिना देखे कैसे छोड़
सकती थी? तो हम निम्बस प्रोडक्शन द्वारा निर्मित किए जा रहे किसी
हिन्दी सीरियल की शूटिंग देखने के लिए एक स्टूडियो गए। रजनी आंटी
निर्माता को जानती थीं। जिस सेट पर सीरियल की शूटिंग चल रही थी
उसमें एक बाथरूम था, एक बैठक थी, एक पुलिस-स्टेशन था और एक
जेल भी थी। सभी एक ही छत के नीचे और साथ में घूमने वाली दीवारें
थीं जो कुछ पलों में ही शयनकक्ष को जेल में बदल सकती थीं। जो दृश्य
उस दिन फिल्माया जा रहा था वह जेल के सेट पर था। निर्देशक अपने
तीन सहायकों के साथ एक अन्य कमरे में तीन कम्प्यूटरों के सामने बैठे
थे। प्रत्येक कम्प्यूटर ने अभिनेता को अलग-अलग कोणों से दिखाया और
मुझे बताया गया कि दृश्य को फिल्माने के बाद वे उस कोण को चुनेंगे
जो सबसे बेहतर निकलकर आएगा। शॉट (दृश्य) के हर पक्ष की लगातार
निगरानी हो रही थी और अभिनेता हर पुनरावृत्ति (रीटेक) के साथ अपना
एक यात्रा की शुरुआत 29
सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश कर रहा था। कभी वह अपने मनोभावों को
समुचित रूप से नहीं दर्शा पाता था और कभी अपने संवाद ही भूल जाता
और कहता, क्षमा करें, सर। एक और बार सर!”
फिल्म फ्राकीज़ा का ट्रेन वाला दृश्य तथा मृगले आज़म के कुछ दृश्य इसी
स्टूडियो में फिल्माए गए थे। नकली ट्रेनें और नकली गाँव, वहाँ सब थे।
बॉलीवुड के कई प्रसिद्ध फिल्मी दृश्यों और अभिनेताओं के मूक गवाह |
फिल्म को फिल्माना बड़ा भारी कार्य है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति - स्पॉट बॉय
से लेकर मुख्य कलाकार - सही समय और स्थान पर अपना योगदान
देता है। यह विडम्बना है कि इतने कड़े श्रम के बाद आज के समय में
निर्मित होने वाली अधिकांश फिल्में बिलकुल घटिया स्तर की होती हैं।
और हाँ, टिकिट खिड़की (बॉक्स ऑफिस) पर फिल्म के असफल हो जाने
का जोखिम तो सदा रहता ही है। हमने इस अनुभव के लिए निर्माता को
धन्यवाद दिया और वापस रवाना हो गए।
“क्या मैं तुम्हारे लिए आमिर खान के साथ मिलने का समय तय कर दूँ?”
फोन हाथ में उठाए हुए रजनी आंटी ने पूछा जैसे अगले ही पल आमिर
खान लाइन पर होगा
मैं इतनी ज़्यादा रोमांचित और चिन्तित थी कि मैं कुछ कह ही नहीं पाई |
“हे भगवान! मैं क्या करूँगी? मैं उससे कया कहूँगी?”
“दुर्भाग्य! वह विदेश गया हुआ है,” ज़ोर से फोन नीचे रखते हुए आंटी
बोलीं |
“वाकई? दुर्भाग्य है,” मैंने कहा, हालाँकि मैंने राहत की साँस ली।
इस घटना के कई दिन बाद तक मैं कल्पना करते हुए अपने मन में अपने
स्वप्न-नायक से मिलने के दृश्य का अभिनय करती रही।
एक दिन रजनी आंटी ने अपना “प्राचीन” टाइपराइटर निकाला और मुझे
एक किताब दी टाइफ्यइटर सीखें। और इस तरह नियमित रूप से रोज़
एक घण्टा पाठों का अभ्यास करके मैं खुद से टाइप करना सीखने लगी।
वह बुनियादी कौशल, जिसकी विचारपूर्ण शुरुआत आंटी ने कराई, बहुत
ही उपयोगी रहा है।
मुम्बई ने मुझे कई बातों को पहली बार अनुभव करने का मौका दिया। मैंने
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