काश- मुझे किसी ने बताया होता | KASH KISI NE MUJHE BATAYA HOTA

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कमला भसीन - KAMALA BHASIN

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जाहिर है इन सब कड़वे अनुभवों की वजह से मेरे मन में एक डर सा बैठ गया। आज मैं समझती हूं कि ये डर और शक मेरे दिल और दिमाग के लिए अच्छा नहीं था। हर डर और शक, बच्चों को नुकसान पहुंचाता है, खासतौर से तब, जब बच्चे अपने कड़वे अनुभवों और डर के बारे में किसी से बात नहीं कर पाते। आज मुझे सबसे ज़्यादा दुख इस बात का लगता है कि इन लोगों के बारे में मैं किसी से बात नहीं कर पाईं। अपने कड़वे अनुभवों के बारे में किसी को 0५ - अपना हमराज़ नहीं बना पाई। न अपने परिवार में 2/ ८25-> किसी को और न ही किसी दोस्त, अध्यापक या रा ् # |




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