एक समय था | EK SAMAY THA

EK SAMAY THA  by पुस्तक समूह - Pustak Samuhरघुवीर सहाय - Raghuveer Sahaya

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रघुवीर सहाय - Raghuveer Sahaya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गुलामी मनुष्य के कल्याण के लिए पहले उसे इतना भूखा रखो कि वह और कुछ सोच न पाए फिर उसे कहो कि तुम्हारी पहली जरूरत रोटी है जिसके लिए वह गुलाम होना भी मंजूर करेगा फिर तो उसे यह बताना रह जाएगा कि अपनों की गुलामी विदेशियों की गुलामी से बेहतर है और विदेशियों की गुलामी वे अपने करते हों जिनकी गुलामी तुम करते हो तो वह भी कया बुरी है तुम्हें तो रोटी मिल रही है एक जून। जनगरी 1972 416 / एक समय था 1 ४ 8, ॥ । |




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