फिदल कास्त्रो | FIDEL CASTRO
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
गेब्रिएल गार्सिया मार्केज़ - GABRIEL GARCIA MARQUEZ,
पुस्तक समूह - Pustak Samuh,
शिवप्रसाद जोशी - SHIV PRASAD JOSHI
पुस्तक समूह - Pustak Samuh,
शिवप्रसाद जोशी - SHIV PRASAD JOSHI
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
242 KB
कुल पष्ठ :
8
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
गेब्रिएल गार्सिया मार्केज़ - GABRIEL GARCIA MARQUEZ
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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शिवप्रसाद जोशी - SHIV PRASAD JOSHI
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)8/2/2016
एक बार उसने कहा : 'अपने अगले जन्म में, मैं लेखक होना चाहता हूँ | वास्तव में, वो अच्छा लिखता है और वो
उसमें आनंद भी लेता है, कार में भी उसके पास एक नोट बुक रहती है, कुछ याद आने पर फौरन उसे लिख लेता है
और कभी कभी निजी चिट्ठियाँ लिखता है। साधारण कागजों की वे कॉपियाँ नीले रंग के प्लास्टिक से लिपटी होती
हैं, और साल दर साल उसकी निजी फाइलों का हिस्सा बनती रही हैं। उसकी हैंडराइटिंग छोटी और उलझी हुई है,यूँ
पहली नजर में वो किसी स्कूली बच्चे की राइटिंग जैसी लगती है। वो किसी पेशेवर की तरह लेखन पर ध्यान देता
है। वो वाक्य को कई बार संशोधित करता है। उसे काटता है, फिर से हाशिए पर लिखता है, और उसे जो चाहिए
जब तक वो न मिल जाए तब तक उसके लिए ये कोई असाधारण बात नहीं है कि कई कई दिनों तक सही शब्द की
तलाश करेगा, डिक्शनरियाँ टटोलेगा और इधर उधर तफ्तीश करता रहेगा।
पिछले कुछ समय से वो सार्वजनिक सभाओं में समय पर पहुँच रहा है। और उसके भाषणों की मियाद ऑडियंस के
मूड पर निर्भर करती है। शुरूआती वर्षों के अनंत भाषण, किंवदंती बन चुके अतीत का हिस्सा हैं, क्योंकि बहुत कुछ
जो उस समय समझाया जाना था वो समझा जा चुका है। और फिदेल कास्त्रो की स्टाइल भी खुद अब कई सारे
सत्रों की भाषण कला के प्रशिक्षण के बाद संक्षिप्त हो गई है। उसे कभी भी कम्युनिस्ट रूढ़िवाद के कुट्टी (पेपिर
मैच) सरीखे नारों को दोहराते नहीं सुना गया है। न ही वो सिस्टम के रस्मी जुमलों का इस्तेमाल करता है। वो उस
फासिल भाषा से दूर है जो बहुत पहले यथार्थ से अपना संपर्क खो चुकी है और स्तुतिगान और स्मारक निर्माण में
व्यस्त पत्रकारिता के साथ जिसका घनिष्ठ संबंध है। वो भाषा जिसका इरादा कुछ स्पष्ट करने के बजाय छिपा
लेने का ही लगता है। फिदेल आला दर्जे का गैर-हठधर्मी है। उसकी रचनात्मक कल्पनाशीलता मतांतरों की खाई
के ऊपर मंडराती रहती है। वो दूसरों की कही बातों को बहुत कम कोट करता है, न बातचीत में और न ही किसी
मंच से। वो सिर्फ खोसे मार्ती के कथन ही कोट करता है जो उसका पसंदीदा लेखक है।
सीधे संपर्क पर उसका पक्का यकीन है। कठिनतम भाषण भी ठेठ बतकही जैसे लगते हैं, जैसे कि यूनिवर्सिटी के
दालान में छात्रों से क्रांति के बारे में बातचीत कर रहा हो। भीड़ के बीच से कोई उसे पुकार लेता है, खासकर हवाना
से बाहर ये कोई असामान्य बात भी नहीं कि किसी पब्लिक मीटिंग में कोई उससे बहस करने लगे और शोरशराबा
हो जाए। उसके पास हर अवसर के लिए एक भाषा है। और समझाने के विभिन्न तरीके। निर्भर करता है कि वो
किसके साथ है - वे कामगार हैं, या किसान, छात्र, नेता, लेखक या विदेशी आगंतुक। वो उनमें से हरेक से उनके
लेवल पर बात कर लेता है। उसके पास विभिन्न सूचनाओं का भंडार है। और वो किसी भी माध्यम में आसानी से
आवाजाही कर लेता है। लेकिन उसकी शख्सियत इतनी जटिल और अप्रत्याशित है कि एक ही मुलाकात में हर
कोई उसके बारे में अपना एक अलग डुंप्रेशन बना सकता है।
एक बात तै है : कहीं भी हो, किसी भी रूप में किसी के भी साथ, फिदेल कास्त्रो की जीत पक्की है। हार के सामने
उसका रवैया एक निजी तर्क से संचालित है : हार नहीं माननी है। वो बहस का रुख जब तक अपने पक्ष में नहीं
मोड़ लेता उसे क्षण भर का भी चैन नहीं पड़ता है। लेकिन जो भी मुद्दा हो और जहाँ भी हो, ये सब होता है कभी न
खत्म होने वाली बातचीत के जरिए।
वो ऑडियंस की पसंद के विषय पर बोल सकता है। लेकिन आमतौर पर वही किसी एक विषय पर अपनी ऑडियंस
को संबोधित करता है। ऐसा उन मौकों पर ज्यादा होता है जब उसके दिमाग में कोई विचार पक रहा होता है और
वो उसे परेशान कर रहा होता है। किसी चीज की तह तक जाने में उससे ज्यादा जुनूनी तो कोई नहीं होता। छोटा या
4/8
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