आज़ाद परिंदा | AAZAD PARINDA

AAZAD PARINDA by पुस्तक समूह - Pustak Samuhशादाब आलम -SHAADAB AALAM

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शादाब आलम -SHAADAB AALAM

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8/23/2016 डाउनलोड रोज शाम को मुझे पढ़ाने घर आते उस्ताद जी। उन्हें देखकर बिल्कुल भी मैं न डरता-घबराता बस्ता और किताबें अपनी खुशी-खुशी ले आता। छड़ी नहीं, मुस्कान साथ में हैं लाते उस्ताद जी। मेरे सभी सवालों को वह झटपट हल कर देते ज्ञान भरी बातों से मेरा नन्‍हा मन भर देते। अच्छे-से हर एक विषय को समझाते उस्ताद जी। कहते बस्ता बोझ नहीं है इसमें भरा खजाना विद्यालय की राह पकड़कर आसमान छू आना। हर दिन मुझको नया हौंसला दे जाते उस्ताद जी। शीर्ष पर जाएँ उस्ताद जी शादाब आलम 1/2




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