हरियाली ही हरियाली , उर्फ़ भोजन कहाँ से आता है | HARIYALI HEE HARIYALI , URF BHOJAN KAHAN SE AATA HAI

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विनोद रायना -VINOD RAINA

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अच्छा ” ठीक है! चलो समझते हें। तो जरा गोर करो ऊपर बताई गई पोधों की क्रिया पर। कार्बन डाइऑक्साइड ओर पानी मिलकर भोजन व ऑक्सीजन बनाते हैं। यह तो एक रासायनिक क्रिया है ओर इस क्रिया में काम आती है ऊर्जा। यह ऊर्जा कहां से आती है भला! ठीक समझे, सूर्य के प्रकाश से। अब जरा सोच कर बताओ कि पोधे के किस भाग में यह क्रिया होती होगी? तना / गलत! जड़ / अरे भई नहीं! यह क्रिया होती है पत्तियों में! जी हां, वही जो हरी होती हे। अहा! तो हरियाली की बात आ ही गई! अब सूर्य के प्रकाश से जो ऊर्जा मिलती है, उसको ठीक ऐसे रूप में बदलने की जरूरत होती है जिससे कार्बन डाइऑक्साइड व पानी से भोजन बने। यह काम पत्तों में ही छुपा एक पदार्थ करता है। इस पदार्थ का क्‍या रंग होगा, बता सकते हो? हरा ” हरा ” अब समझ ली हरियाली?! ठीक ” यही हरा पदार्थ सूर्य का प्रकाश ग्रहण कर भोजन बनाने की प्रक्रिया संभव करता हे। अब क्‍या ख्याल है हरियाली के बारे में? क्या यह केवल सुंदरता की चीज है। अगर यह हरियाली देने वाला पदार्थ नहीं होता तो क्या जाने जीवन होता या नहीं ओर अगर होता तो केसा!




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