रोशन सितारे | BRIGHT SPARKS

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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28. रोशन सितारे _ तरंगों के उत्पादन, प्रसारण, अपवर्तन (श३८४०॥) , विवर्तन ((13८ॉ0०7), प्रुवण (0019117291101) एवं परिचयन (०९॥९८४०7) पर मौलिक शोध शुरू किया। आज प्रचलित सूक्ष्म तरंग (/09४/2५७) उपकरणों के कई कल-पुर्ज़ों - तरंग प्रदर्शिका, लेंस एंटिना,. ध्रुवक (20!०४5९) पारथ्युतिक लेंस (७९॥९८7४८ ५5८५), प्रिज़्म ओर विवर्तन ग्रेटिंग (क्ञीवग्यांणा ह्गगाड की झलक हमें उनके प्रयोगों में मिलती है। इनमें से कई उपकरणों के वे खुद आविष्कारक थे - इनमें बटे हुए पटसन का असाधारण ध्रुवक शामिल है! बोस द्वारा सीसे से बनाए रिसीवर को 1904 में पेटेंट भी मिला। 1977 के नोबल पुरस्कार विजेता और ट्रांज़िस्टर के आविष्कारक प्रो. ब्रिटन के अनुसार बोस पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सर्वप्रथम अर्धचालक क्रिस्टलों (5९€110010 0८11६ ८/./५915५] का उपयोग कर रेडियो तरंगें पकड़ीं। 1977 के ठोस अवस्था इलेक्ट्रॉनिकी में नोबल पुरस्कार विजेता नेविल मॉट के अनुसार बोस अपने अनुसन्धान में दुनिया से 60 वर्ष आगे थे। उन्होंने कहा, “वस्तुतः उन्हें एन-टाइप और यी-टाइप अर्धचालक के मौजूद होने का पूर्वानुमान था।” बोस की रुचि घटनाओं के केवल वेज्ञानिक पक्ष में थी, उसे पेटेंट कर उससे धन कमाने में नहीं। जबकि उनके समकालीन मारकोनी ने वायरलेस की व्यावसायिक सम्भावनाओं को तत्काल पहचाना और वायरलेस संचार उपकरणों का निर्माण कर खूब मुनाफा कमाया। बोस एक शैक्षिक दौरे पर यूरोप गए जहाँ उनकी भेंट लॉर्ड केल्विन ओर प्रो. फ्रिटज़ेरल्ड जैसे विश्व के अग्रिम पंक्ति के... वैज्ञानिकों से हुई। 1897 के आसपास बोस की रुचि में एकदम बदलाव आया। विकिरण पटसन का श्रुवक जगदीश चन्र बोस 29 ढूँढने के लिए उन्होंने जो रिसीवर बनाया था वह कभी “तेज़” और कभी “मन्द' प्रदर्शन दिखाता था। इससे उनका कौतूहल जगा। ये उन्हें मनुष्य की “थकान' ओर “नई ऊर्जा! की अवस्थाओं जैसी लगीं। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि रिसीवर भी आण्विक स्तर पर काम, थकान, आराम और पुनर्जीवन के चक्र से गुज़रता है। उनके एक शोधपत्र, “सजीव और निर्जीव पदार्थों में विद्युत द्वारा उत्पादित सामान्य आण्विक प्रतिभास” पर तीखी प्रतिक्रिया हुई। इसके कई दशकों बाद जब जैवभौतिकी (809॥95 ८5) और साइबरनेटिक्स (८/०९॥९॥८5) का उद्गम हुआ तो साबित हुआ कि बोस सही रास्ते पर थे। बाद में बोस की रुचि पौधों और जीवों के बीच समानताएँ शत खोजने में जगी। उनके शोध बहन ४ ने लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। उन्होंने दिखाया कि सभी जीवों की तरह पौधों में भी स्नायु-तंत्र होता है और वे विद्युत धारा, उष्मा और रसायनों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। क्योंकि विषय एकदम नया था इसलिए बोस ने प्रयोग के लिए स्वयं कई नए उपकरणों को बोस ने विज्ञान के प्रचार-प्रसार को लिए कारला में ढेयें लोकप्रिय' लेख लिखे। बोस का परवर्ती जीवन राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन को साथ आगे बढ़ा। उनकी प्रबल राष्ट्रवावी भावनाएँ अनिवार्य रूप से उन्हें रवीद्रनाथ ठाकुर, प्रफुल्ल चन्द्र रे और स्वामी विवेकानन्द की आग्ल-आयरिश सश्िष्या सिस्टर निवेदिता को निकट खींच ले गई




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