तारों भरा आकाश | TARON BHARA AKASH

TARON BHARA AKASH by पी० एन० शंकर - P. N. SHANKARपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पी० एन० शंकर - P. N. SHANKAR

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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18 लोग चूंकि आधी रात के समय सो जाते हैं इसलिए मार्गदर्शक चार्ट (पृष्ठ-23) में वे तारामंडल दिखाये गये हैं जो रात को लगभग १बजे दिखाई देते हैं। जैसे-जैसे आपका अनुभव बढ़ता जायेगा और तारों को देखने में रुचि लेते जायेंगे, आप खुद ही देर रात को या तड़के जल्दी इन तारों को देखना पसंद करेंगे। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि खगोलशाज्त्री रात-रात भर दूरबीन लिए तारों का निरीक्षण करते रहते हैं। भारत में वर्षा के दिनों में आकाश के बादलों से ढके रहने से तारों को देखना असम्भव हो जाता है लेकिन वर्षा ऋतु के दिनों में भी जब वर्षा बन्द हो गई हो तो तारे बहुत ही साफ नजर आते हैं, क्योंकि पानी के साथ वायुमण्डल का धूल-धक्कड़ भी धुल जाता है। इन धूलिरहित अवसरों को हाथ से न जाने दीजिए क्योंकि उस समय तारे बहुत साफ दिखाई देते हैं और आप मद्धिम तारों को भी देख सकते हैं! तारों के नाम व उनकी दीप्ति: तारामंडल चार्ट अधिक चमकीले तारों के नाम 3 प्रकार के मिलते हैं: (1) सामान्य या बोलंचाल के नाम, (2) संस्कत, अरबी या ग्रीक-लैटिन भाषाओं के नाम तथा (3) उन तारों की उनके मण्डल में स्थिति के अनुसार वर्तमान वैज्ञानिक नाम। इसी से ध्ुक्तारे को अंग्रेजी में पोलस्टार भी कहते हैं जो बोलचाल का नाम है। इसे पोलारिस भी कहते हैं जो सम्भवतः यूनानी या अरबी नाम है, तथा शिशुमारचक्र-1 या अल्फा उर्सा माइनरिस भी कहते हैं जो वर्तमान खगोलशाखियों ने शिशुमारचक्र तारामंडल में ध्रुब॒तारे की स्थिति के अनुसार रखा है। लुब्धक तारे (सबसे चमकीले) का भी यही हाल है। बोलचाल की भाषा में इसे कुत्ता या आग स्टार' कहते हैं, ग्रीक भाषा में सीरियस कहते हैं ओर संस्कृत में लुब्धक; किन्तु आधुनिक खगोलशाख्र में इसका नाम अल्फा कैनिस मेजरिस है। मद्धिम तारों के अधिकांश एक ही नाम हैं जो उनके तारामंडलों में स्थिति के अनुसार रखे गए हैं या उनके लिए कोई संख्या तय कर दी गई है। जैसे, ईटा-ओरायनिस या 88 लियोनिस | खगोलशाख् में तारों का वर्गीकरण उनकी चमक के आधार पर किया गया है। इस चमक को दीप्ति कहते हैं। लेकिन यह स्मरण रखना चाहिए कि दीप्ति का सम्बन्ध तारों के आकार से नहीं है। सर्वाधिक चमकीले तारे “प्रथमदीप्ति'' या दीप्ति-1 के कहे जाते हैं (लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि प्रथम दीप्ति के तारे दूसरी दीप्ति या तृतीय दीप्ति के तारों से आकार में भी बड़े हैं) । इसके बाद आते हैं दीप्ति-2 के तारे जो दीप्ति-1 के तारों से कुछ कम चमकदार होते हैं ।




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