अजीबोगरीब किस्से | AJEEBOGAREEB KISSE

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होल्गेर पुक्क - HOLGER PUCK

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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किया। बिना विलम्ब किये उसने आवाज़ की दिशा में सरकना शुरू कर दिया। उसने अहाते को पार किया, बागीचे से गुजरा और सायबान के पिछवाड़े एक खंदक के किनारे आ पहुँचा। पीड़ाभरी पुकार थोड़ी और तेज़ सुनायी देने लगी थी। रोने वाला कहीं आस-पास ही था। और वास्तव में वहीं था वह एक चमकते धातु का डिब्बा सूखी टहनियों की ढेरी के नीचे नजर आ रहा था। उसके सिर पर हत्था लगा हुआ था। जेबी रेडियो ने उसके हत्थे के भीतर से अपना एरियल घुसाया और खींचने लगा। इसके पहले कि वह बन्दी को टहनियों के नीचे से आजाद कर सके उसे कई-कई बार और अपनी पूरी ताकत लगाकर खींचना पड़ा । यह एक घड़ी थी। एक चौकोरनुमा घड़ी | उसके चेहरे पर कई अंक थे और दो सुइयाँ थीं। हत्था घड़ी के छाजन से जुड़ा हुआ था। आप इसे हत्थे से पकड़कर आसानी से ले जा सकते थे। “श्रीमान,” चतुर घड़ी बोल पड़ी, “मुझे अपना हार्दिक आभार प्रकट करने की इज़ाजत दीजिये! आपका व्यवहार आपके उदारमना की होने वकालत करता है।” “अरे छोड़ो भी इसकी चर्चा भला क्‍या करना,” जेबी रेडियो विनम्रता से बुदबुदाया। | 16 -+ अ्रड़ीबोगठिब किल्‍ले.. जीबोगशिब किस्से




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