मुकदमा : हवा पानी का | MUKADMA HAVA PAANI KA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
133 KB
कुल पष्ठ :
4
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
गोविन्द शर्मा - GOVIND SHARMA
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)88/10/2016
हवा : महाराज, आँधी से इनका मतलब मेरे तेज चलने से है। वैसे तो मैं हर समय बहती रहती हूँ, पर इन्हें जब
गर्मी लगती है तो पंखा चलाकर मेरी गति बढ़ा लेते हैं। उसी तरह जहाँ भी हवा कम होती है, मैं तेजी से वहाँ जाती
हूँ। जब मैं तेजी से चलती हूँ तो रेत, मिट्टी, कूड़ा आदि जो भी हल्की चीजें मेरे रास्ते में होती हैं, मेरे साथ उड़ने
लगती हैं। ये अपने घर और दुकान साफ करके कूड़ा घर के आसपास गली में या सड़क पर डाल देते हैं। कई बार
गाँव के बाहर कूड़े के ढ़ेर लगा देते हैं। इनका फेंका कूड़ा ही वापस इनके घरों में जाता है, महाराज। लोग अपने गाँव
या शहर में पोलिथिन की थैलियाँ सड़कों पर फैंक देते हैं। वे मेरे साथ उड़कर खेतों में फैल जाती हैं और फसलों को
नुकसान पहुँचाती हैं। इससे मेरा मन बड़ा दुखी होता है।
महाराज : मैने सबकी बात सुनी है। लोग हवा से दुःखी तो हैं पर कसूर हवा का नहीं है। लोगों को सफाई की आदत
अपनानी होगी। तभी हवा दूषित होने से बचेगी। हमें चाहिए कि हम हवा और पानी को अपना दोस्त मानकर उन्हें
नुकसान न पहुँचाएं | इसमें ही हमारा भल्रा और बचाव है।
(लोग हवा, पानी के प्रति दोस्ती का भाव दिखाते हुए चले जाते हैं।)
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