क्या कहें हम, हाल अपनी शाला का | KYA KAHEN HAM HAL APNI SHALA KA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
25
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
कमला बकाया - KAMALA BAKAYA
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)औऑर बुलाआ एक जनाः
एक बूट्टी नै बोचा दाजा
गाजर का था पेड लगाना,
दाने में से किल्ला पहूडा,
चिहल््ले रो चर बज जाया दूहुप ।
शौद्दी-थौकी साद पहछी ,
गाजर छार्थोढाथ बढ़ी' वर!
सौचा तोड़ उसे अब लाऊठ |
हलचा गरमगा-गरम पकाउठ
पकड़ी चोटी, जोर लगाया .!
डाथ नहीं पर कुछ भी आया ।
नक्की बला, कुछ नहीं बजा,
और बुलाओ एक जगा |
तब ब्ुट्ठटी का नाती आया,
मिलकर उरस्ाणे जारे त्णारा ।
जर्सी बजा, कुछ नही ताजा,
और बुलाओ एक जना |
सब बुड्ली का कूत्ता आया
हांप-हांप कर जोर लगाया |
नहीं बना, कुछ नर्हीं बजा,
और बुलाओं एक जजना |
ता बुद्छी की जाई जिलल््ली
सुनकर सब की चीख़ा चिल्ली ,
सबने मिलकर जोर लगख्या
गाजर को उखाड़ लब पाया |
लो भर , ऐ लो भई ,
जील हमारी हो गई ।
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