क्या कहें हम, हाल अपनी शाला का | KYA KAHEN HAM HAL APNI SHALA KA

KYA KAHEN HAM HAL APNI SHALA KA  by कमला बकाया - KAMALA BAKAYAपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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औऑर बुलाआ एक जनाः एक बूट्टी नै बोचा दाजा गाजर का था पेड लगाना, दाने में से किल्ला पहूडा, चिहल्‍्ले रो चर बज जाया दूहुप । शौद्दी-थौकी साद पहछी , गाजर छार्थोढाथ बढ़ी' वर! सौचा तोड़ उसे अब लाऊठ | हलचा गरमगा-गरम पकाउठ पकड़ी चोटी, जोर लगाया .! डाथ नहीं पर कुछ भी आया । नक्की बला, कुछ नहीं बजा, और बुलाओ एक जगा | तब ब्ुट्ठटी का नाती आया, मिलकर उरस्ाणे जारे त्णारा । जर्सी बजा, कुछ नही ताजा, और बुलाओ एक जना | सब बुड्ली का कूत्ता आया हांप-हांप कर जोर लगाया | नहीं बना, कुछ नर्हीं बजा, और बुलाओं एक जजना | ता बुद्छी की जाई जिलल्‍्ली सुनकर सब की चीख़ा चिल्‍ली , सबने मिलकर जोर लगख्या गाजर को उखाड़ लब पाया | लो भर , ऐ लो भई , जील हमारी हो गई । 16




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