पेड़ आपस में कैसे बात करते हैं ? | HOW DO TREES TALK TO EACH OTHER
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
23
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
आशुतोष भाकुनी - Aashutosh Bhakuni
No Information available about आशुतोष भाकुनी - Aashutosh Bhakuni
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
सुजैन सिमर्द - SUSSANE SIMARDH
No Information available about सुजैन सिमर्द - SUSSANE SIMARDH
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सभी जालों की तरह, माइक्रोराइजा के जाल में भी नोड और लिंक होते हैं. हमने यह नक्शा डगलस देवदार के जंगल के एक हिस्से में हर पेड़
और हर फफूंद के 019५ को जांच करके बनाया है. इस चित्र में गोले डगलस देवदार दर्शा रहे हैं जो नोड हैं, और सीधी रेखाएं फफूंद के रास्ते
हैं, यानी लिंक.
सबसे बड़े और गहरे रंग के नोड सबसे व्यस्त नोड हैं. हम इन्हें मुख्य पेड़ या प्यार से मम्मी पेड़ कहते हैं क्योंकि ये अपने नीचे उग रहे छोटे
पेड़ों का ख्याल रखते हैं. और यह पीले गोले छोटे पौधे हैं जो बड़े मम्मी पेड़ों के जाल में उग रहे हैं. किसी जंगल में एक मम्मी पेड़ सैकड़ों पेड़ों
से जुडी हो सकती है. हमें रेडियोएक्टिव गैसों से पता चला है कि मम्मी पेड़ अपने पास मौजूद अतिरिक्त कार्बन माइक्रोराइजा के जाल के जरिए
नीचे उग रहे पौधों तक भेजते हैं. और इससे इन पौधे के जिन्दा रहने की सम्भावना चार गुना तक बढ़ जाती है.
पा ३३१. बी पा
0 अर िट
+
|
/
|
३
है
|
4 /
// 1
का पं
ः
छउिलाल ला 3], 2010
User Reviews
No Reviews | Add Yours...