मेरी गणित की कक्षाएँ और सौरभ | MERI GANIT KI KAKSHAYEN AUR SAURABH
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
272 KB
कुल पष्ठ :
6
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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मुहम्मद उमर -MUHAMMAD UMAR
2010 से राजस्थान के अजीम प्रेमजी फाउंडेशन में गणित के लिए एक संसाधन व्यक्ति के रूप में कार्यरत
.
एसआईईआरटी उदयपुर, राजस्थान (आईजीआईजी राजस्थान) में शिक्षाशास्त्र और पाठ्यक्रम विशेषज्ञ
एकलव्य में अनुसंधान सहयोगी गणित - शैक्षिक अनुसंधान और नवाचार संस्थान, होशंगाबाद, मध्य प्रदेश।
जागृति बाल विकास समिति, कानपुर, उत्तर प्रदेश में गणित और विज्ञान शिक्षक।
आईआईटी कानपुर में सामाजिक परिवर्तन के लिए एक थिएटर ग्रुप, जन चेतना मंच के संस्थापक सदस्य
...के रूप में भी काम किया |
संपर्क नंबर: 9001565000
ई-मेल आईडी: [email protected]
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चित्र: सौरभ
सौरभ द्वारा सुझाया गया जवाब
मैंने आगे बढ़कर उसे चॉक थमाई ही
थी कि पीछे कुर्सी पर बैठी मैडम जी के
मुँह से बरबस निकल पड़ा, “अरे सर,
यह तो पागल है।”
फिर भी मैंने कहा, “देखते हैं, क्या
करता है।”
सौरभ के हाथों की चॉक बड़ी मुश्किल
से बोर्ड पर चल पा रही थी। पाँच लड़के
जैसे-तैसे बनाने के बाद अब बह रोटियों
को सही आकार देने के लिए जूझ रहा
था। हर बच्चे को एक-एक रोटी देने के
बाद उसने छठवीं रोटी को पाँच बराबर
टुकड़ों में बॉटने का प्रयास किया। इस
कोशिश में उसने रोटी को तीन-चार दफे
हाथों से रगड़कर मिटाया और फिर से
बनाया। कक्षा के सभी बच्चे, में और
मैडम सभी उत्सुकता से देख रहे थे कि
सौरभ कर क्या रहा है।
अचानक सौरभ ने छठवीं रोटी मिटा
दी और मेरी बगल को कुसी पर रखी
कागज़ की वृत्ताकार चकती को उठाने के
80
+++ “6६ ०५०५ +
मैंने अपने थैले से कैंची निकालकर
उसे दे दी। काफी सावधानी बरतते हुए
उसने इस चकती को पाँच टुकड़ों में बॉट
लिया। ये कागज़ के टुकड़े बिलकुल बराबर
तो नहीं थे लेकिन उन्हें बराबर माना जा
सकता था।
एक टुकड़ा ऊपर उठाकर दिखाते हुए
वह बोला, “स...र जी इ..त..ना औ..र
मि...ले..गा।”
ये मेरे लिए बड़े ताज़्ज़ुब की बात थी।
सौरभ को उसके सहपाठी और मैडम पागल
समझते हैं, मैं भी अब तक उसे मन्दबुद्धि
मानता आ रहा था, पर वह तो अच्छी
समझ रखता है। रोटी को बराबर बॉटने
का प्रयास और उसके लिए वैकल्पिक
विधि सोच पाने की क्षमता रखने वाला
बच्चा पागल नहीं हो सकता।
कक्षा खत्म करने के बाद मैंने मैडम
के पास जाकर कहा कि सौरभ पागल या
शैक्षणिक संदर्भ अंक-5 (मूल अंक 62)
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