श्रेष्ठ हिंदी कहानियाँ -भाग 2 | SHRESHTA HINDI KAHANIYAN PART 2
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
199
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
डॉ लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय - Dr. Lakshisagar Varshney
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भीष्म साहनी
भटकतो राख
गाँव में फसल कटाई पूरी हो चुकी थी । हँसते-चहकते किसान घरो को
लौट रहे थे । भरपुर फसल उतरी थी। किसानों के कोठे श्रनाज से
भर गए थे । गृहिणियों के होठो पर सगीत' की घुने फूट रही थी । दूरब.र तक
फैली घरती की कोख इससे भी बढिया फसल देने के लिए मानों कसंससा रही
थी ।
रात उतर आई थी और घर-घर मे लोग खुशियाँ मना रहें थे । जब एक
धर की खिडको में खडी एक किसास युवती, जो देर तक मन्त्र-मुस्ध-सी बाहर
का दुद्य देखे जा रहो थी, सहसा चिल्ला उठी, दिखो तो खेत में जगह-जगह यह
क्या चमक रहा है ?
उसका युवा पति भागकर उसके पास झाया | बाहर खेत में जगह-जगह
भिलमिल-भिलमिल करते जैसे सोने के कश चमक रहे थे ।
यह क्या भिलमिला रह हैं? कया ये सचमुच सोने के करा हैं? पत्नी नें
बडी व्यग्रता से पूछा ।
झ्ोता कभी यो भी चमकता है ? नही, यह सोना नही है ।'
फिर क्या है ?”
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