एक था कार्वर - जार्ज वाशिंगटन कार्वर | EK THA CARVER - GEORGE WASHINGTON CARVER

EK THA CARVER - GEORGE WASHINGTON CARVER  by पुस्तक समूह - Pustak Samuhवीणा गावणकर - VEENA GAVANKARसंध्या भाटलेकर - SANDHYA BHATLEKAR

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वीणा गावणकर - VEENA GAVANKAR

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संध्या भाटलेकर - SANDHYA BHATLEKAR

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रोज रात को सोने के लिए जार्ज अपनी मां की कोठरी में ही जाता। उसने उस कोठरी को झाड़-पोंछढकर साफ कर चमका दिया था। वहां एक पुराना चरखा भी था जो कभी उसकी मां चलाती थीं। जार्ज ने उस चरखे को भी साफ करके नया बना लिया था। जार्ज सोचता, 'इस चरखे से कते सूत से मां ने मेरे कपड़े बनाये होंगे। मां के अस्तित्व की एकमात्र निशानी।', .. जार्ज ने मोजेस चाचा को मारिया बुआ और एंडी चाचा के बारे में सब बता दिया था। कैसे उन्होंने आसरा दिया था, पढ़ाई के लिए मदद्‌ की थी। आज उनसे मिलने जा रहा था जार्ज। मोजेस चाचा ने अपनी घोड़ागाड़ी दी थी। दस वर्ष पहले इसी रास्ते पर पैदल चल पड़ा था एक नन्‍्हा सा लड़का, ज्ञान की खोज में। तब और अब कितना फर्क हो गया था अंतर में। आज वही दूरी कितनी छोटी मालूम हो रही थी। बाहरी दुनिया के शहर देख आने के बाद नेओशो भी अब कितना छोटा लग रहा था। मारिया बुआ और एंडी चाचा बडे खुश हुए जार्ज से मिलकर। जार्ज की जी जान लगाकर की हुई मेहनत की पढ़ाई के बारे में सुनकर दोनों को बहुत संतोष मिला। पूरा दिन बीत गया बीती बातों को याद करते-करते। शाम को जब वापसी की तैयारी हुई तो वे बूढ़ी आंखें भर आयीं। मारिया बुआ ने भरे गले से रूधी सी आवाज में कहा, “मेरे बच्चे, बहुत पढ़ना और अपने बंधु- बांधवों की उन्‍नति के लिए अपनी पढ़ाई का उपयोग करना।' जार्ज ने बुआ को मन से इस बात का आश्वासन दिया और वह चल पड़ा। गर्मियां खत्म हुईं। डायमंड ग्रोव छोड़ने का समय हो गया था। जार्ज की वापसी की तैयारियां शुरू हुईं। मोजेस चाचा दिल से चाहते थे कि जार्ज अब वहीं उनके पास रहे। जितना पढ़ लिया, काफी है और अधिक पढ़ाई से क्‍या होगा? और ज्यादा पढ़ता रहा तो काम करने के लायक भी नहीं रहेगा। उन्होंने जार्ज को दिल की बात बताई। लेकिन उनकी बात मान लेना जार्ज के लिए संभव नहीं था। उसने चाचा को समझाया कि, “अभी तो मुझे बहुत पढ़ना है, यह तो सिर्फ शुरुआत है। मैं कालेज में पढ़ूंगा। मेरे शिक्षक जितना पढ़ा सके उतना सब कुछ जब मैं पढ़ लूं तब ईश्वर मेरे लिए प्रकृति के रहस्य खोल देंगे, उस समय मेरे लिए करने लायक कितने ही काम सामने होंगे। ईश्वर की इस महान धरती पर जितना भी काम करूं, कम ही होगा।' सूसान चाची बोली, “उसे जाने दो। उसकी बात में सच्चाई है। ईश्वर से कभी भूल नहीं होती।' डायमंड ग्रोव छोड़ने से पहले जार्ज ने मोजेस चाचा से चरखा मांग लिया। अपनी मां का चरखा। चाचा ने भी बडे प्यार से उसे वह चरखा दिया। मां की यादगार लेकर जार्ज फिर एक बार डायमंड ग्रोव छोड़कर निकल पड़ा बाहरी दुनिया की ओर। अभागी मेरी का दुबला, कमजोर बालक कितना बड़ा हो गया था। उसे बचाने वाली, संभालने वाली सूसान चाची के मुख पर संतोष की आभा भर आयी। ज्ञान की यात्रा के इस प्रवासी-जीवन की भेंट, कब होगी। आरंभ का अंत जार्ज ने स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा में बहुत अच्छे अंक पाये थे। स्कूल से मिले सर्टिफिकेट में भी उसे बहुत सराहा गया था। जार्ज ने कैन्सास के हायलैंड विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने की अर्जी भेजी थी। विश्वविद्यालय से अर्जी का उत्तर भी आ गया था। इस उत्तर को पढ़ते ही जार्ज तो खुशी से मानों पागल हो गया। प्रवेश तो मिल ही गया साथ में शिक्षावृत्ति भी मिलनेवाली थी। अब तो सिर्फ वहां जाने की देर थी। 1885 के सितम्बर महीने में जार्ज निकल पड़ा कैन्सास राज्य की ईशान्य दिशा में हायलैंड विश्वविद्यालय में दाखिल होने के लिए। अपनी पूरी जिंदगी जार्ज कार्वर ने जिस घटना को भुलाना चाहा वह यही घटना थी। हायलैंड विश्वविद्यालय से आए, पत्र के अनुसार जार्ज विश्वविद्यालय के प्रमुख अधिकारी से मिलने गया। किताबों से भरी अल्मारियां और जगमगाते फर्नीचर से सजा कमरा देखकर जार्ज दंग रह गया। अपने पास का पत्र उसने मेज पर रखा। प्रमुख अधिकारी ने उसे पढ़ा और बड़ी शांत, धीमी आवाज में कहा, 'माफ करना, कहीं कुछ गलती हो गयी है।' उस एक वाक्य ने जार्ज के सपने जैसे चूर-चूर कर दिये, फिर भी किसी तरह धीरज बटोरकर उसने कहा, 'लेकिन आज ही का दिन लिखा है इसमें, आपका पत्र, |।'




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