माँ के लिए बाल | MA KE LIYE BAAL

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केली तिन्खाम - KELLY TINKHAM

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मैं माँ से एक और विग पहनने के लिए कहने ही वाला था, जब माँ ने मेरे हाथ, अपने हाथों में लिए. “मार्क्स, माँ इस तरह की विग्स नहीं पहन सकतीं, क्यूंकि उसके बाद उन्हें अन्दर से अच्छा नहीं लगेगा. नकली विग्स पहनने के बाद माँ को ऐसा लगेगा जैसे उन्होंने बाघ की बिंदियों वाली खाल पहनी हो. तुम ज़रूर मेरा मतलब समझ गए होगे?” मैंने अपना सिर हिलाया. पर अन्दर-ही-अन्दर मुझे बहुत फिकर भी लग रही थी. मुझे पता था कि अगर मुझे माँ के लिए बाल ढूंढने हैं, तो मुझे उसके लिए ज़रूर कुछ “विशेष” करना होगा. एक हफ्ता पलक झपकते ही बीत गया. जल्द ही अगला शुक्रवार आ गया. अगले दिन हमें फोटो के लिए जाना था. फिर तो मुझे बहुत फ़िक्र होने लगी. माँ हर समय थकी-थकी लगती थीं. मुझे रात को नींद भी नहीं आयी. फिर सोते समय मैंने भगवान से प्रार्थना की और दो मनन्‍नतें मांगीं - माँ फोटो में भी शामिल हों, और उनकी तबियत भी जल्दी से दुरुस्त हो जाए.




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