संघर्ष की पुकार | SANGHARSH KI PUKAR

SANGHARSH KI PUKAR by cmssपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(४) हम खामोश रहे । अब, 0580 सेठों की पार्टी भाजपा, भाजपा की सरकार, सरकार की पुलिस, - इस पुलिस नें दस्तक दौ है मेरे दरवाजे पर......... मेरा साथ कौन देगा ? मुझे तो कोई दिखता भी नहीं है। ' क्या मजदूरों को बिखारने के लिये सेठों का हमला होता रहेगा लूट का राज चलता रहेगा ? यह सोचने का वक्‍त है । यही निर्णय लेने का वक्‍त है । . बी.एस.पी. के मंनेजिग डायरेक्ट र, ध्मंपाल ग॒प्ता, सिम्पलेक्स, बी. आर. जैन, विजय केडिया और खेतावत ने एकता बनाई है । मजदूरों को बुचलने के लिये, गृण्डों को लगा दियः है, और गुण्डों की हिफाजत साथ ही मजदूरों की मरम्मत के काम को अंजाम देने के लिये गुण्डों के सःथ लगी पुलिस 'देशभक्ति और जनसेवा' के नाभ पर | जब बी.ज॑.पी. और बी.एस.पी. एक हो जाते है तब भिलाई की मजदूर बस्तियों में, भातंक का राज होता है चाक्‌ ओर भाले चला करते हैं मजदूरों पश मजदूर नेताओं को सड़ाया जाता है जेल की कालौ कोटरी में, (५) और, स्थाई नौकरी जीने लायक वेतन मांगने वालों को भूख से तड़फाया जाता है । । यही सोचता हें, सोच की तीत्रता से भिच जाती है मट्टठियाँ भूख की मार से तन भले कमजोर है पर मरा नहीं है मेरा आत्मविश्वास और उसी विश्वास कें बल पर मेरी बंद मटठी लह्दरा उठती है. आसमान में। जेल की कोटठरी से निस्तब्ध रात्रि में सुनवाई देती है भिलाई के दूर-दराज की मजदूर बस्तियों से उठती आवाज इंकलाब जिदाबाद ।। इंकलाब जिदाबाद ।। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा का प्रचार पत्र से ६-२०-€ १




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