ग्रामीण इन्टरनेट ओपरेटर का एक दिन | DAY IN THE LIFE OF A RURAL INTERNET OPERATOR
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
29 KB
कुल पष्ठ :
6
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
एलिज़ाबेथ एलेग्जेंडर - ELIZABETH ALEXANDER
No Information available about एलिज़ाबेथ एलेग्जेंडर - ELIZABETH ALEXANDER
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)का कोर्स किया है।” रोजी अपने वेब कैमरे की सहायता से उस आदमी का फोटो खींचती है और उसे भी
ई-मेल के अटैचमेंट के साथ भेज देती है। अपना मिशन पूरा करने के बाद वो आदमी, रोजी को ई-मेल और
प्रिंट-आउट के पैसे देता है। इंटरनेट कियोस्क के अनुभव से वो निश्चित तौर पर बेहद खुश है। शायद वो कल
फिर वापिस आए यह पूछता हुआ, “क्या आज मेरे बेटे का कोई संदेश आया है?”
अगले चंद घंटे भी काफी रोचक हैं। एक किसान भिंडी की फसल के कुछ नमूनों के साथ आता है। भिंडी
के तनों और पत्तियों में कोई रोग लगा है। किसान बहुत परेशान है। इससे उसकी पूरी फसल के नष्ट होने का
डर है। रोजी रोगग्रस्त तने और पत्तों का अलग-अलग कोणों से चित्र खींचती है और तमिल में लिखे अपने
संदेश के साथ-साथ उन चित्रों को ई-मेल अटैचमेंट के साथ तमिलनाड कृषि कालेज और अनुसंधान केंद्र को
भेज देती है। उसके संदेश में लिखा है, “प्रिय डाक्टर सेल्वराज, कृपा हमें बताएं कि इस समस्या से निबटने
के लिए हम क्या करें?” रोजी, किसान से अगले दिन वापिस आने को कहती है। कल तक जरूर इस पत्र
का जवाब आ जाएगा। आज गांव के सारे किसान अपनी कृषि संबंधी तमाम समस्याओं के हल के लिए रोजी
पर निर्भित है। और रोजी जो खुद सिर्फ बारहवीं कक्षा पास है उनकी समस्याओं का निदान ढूंढने में सक्षम
हर]
“बोरोन और नाईट्रोजज का एक घोल बनाएं और इसे अपनी फसल पर छिड॒कें।” यह हल कृषि कालेज
के विशेषज्ञों ने सुसाया है और इससे बहुत से किसानों को, अपनी हजारों रुपयों की फसल बचाने में मदद
मिली है। जो जानकारी पहले केवल कुछ धनी और संपन्न किसानों तक ही सीमित थी वो जानकारी आज
किसी भी साधारण किसान को आसानी से उपलब्ध हो सकती थी।
इतनी देर में एक महिला अपनी मुर्गी से साथ दाखिल हुई। मुर्गी के पांव मुड़े हुए थे और वो सही तरीके
से चल नहीं पा रही थी। अगले कुछ मिनटों तक रोजी और मुर्गी की मालकिन को कुछ समय तक थोड़ा
नाचना पड़ा जिससे कि मुर्गी कुछ शांत हो जाए और रोजी उसके पैरों की तस्वीर अपने वेब-कैमरे से खींच
सके। अंत में रोजी इन तस्वीरों को तमिलनाड पशुपालन एसोसियेशन को इस पत्र के साथ भेज देती है, “प्रिय
डाक्टर काथिरेसन, कृपा हमें बताएं कि हम इस समस्या के बारे में क्या करें?” मुर्गी की मालकिन के पास
रोजी को देने के लिए आज पैसे नहीं हैं। “कोई बात नहीं, कल दे देना।” गांव में उधारी एक आम बात हे
और रोजी को पता है कि कुछ दिनों में उसे पैसे अवश्य मिल जाएंगे।
इतनी देर में एक और औरत अंदर आती है। वो मुर्गी के चित्र लिए जाने से आकर्षित होकर अंदर आई है।
“मेरे पड़ोसी की गाय बीमार है। क्या तुम उसके बारे में भी कोई ई-मेल भेज सकती हो? लेकिन हां, हम
तुम्हारी इस छोटी सी दुकान के अंदर गाय को कैसे लाएंगे?”
“एक ऐसा भी कैमरा हे जिससे हम बाहर जाकर भी फोटो खींच सकते हें। परंतु वो कैमरा मंहगा है। जब
हमारे पास पैसे इकट्ठे हो जाएंगे तब हम उसे भी खरीद लेंगे। आप अपने पड़ोसी से गाय को हमारी दुकान
के दरवाजे तक लाने को कहें। मैं इसी कैमरे की मदद से कुछ फोटो खींच लूंगी।”
चंद मिनटों बाद एक नवयुवक आकर कहता है, “मैं एक ऑटो खरीदने के लिए कर्ज चाहता हूं। यह कर्ज
मुझे कैसे मिलेगा?” रोजी फौरन एक सरकारी वेबसाइट खोलती है और उसमें दर्ज तमाम स्कीमों का ब्यौरा
पढ़ती है और कहती है, “देखो, दो स्कीमें हें - एक टीआई्ईआर्ड्छ्ी ओर दूसरी पीएमआरवाय लोन स्कीम
User Reviews
No Reviews | Add Yours...