मिटटी की बात और अन्य कहानियाँ | MITTI KI BAAT AUR ANYA KAHANIYAN

Book Image : मिटटी की बात और अन्य कहानियाँ  - MITTI KI BAAT AUR ANYA KAHANIYAN

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

अज्ञात - Unknown

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
“जैसा तुम ठीक समझो, किरण ने कंधे उचकाए और पलकें झपकाई, “अगर तुम ठीक हो जाओ तो मुझे याद कर लेना। तुम्हारे लिए खाना पकाने में मदद करूँगी। अच्छा, चलती हूँ....।' 'खाना वो खाए जिसे जीना हो | गुलू फिर बड़बड़ाया, 'कोई अपना नहीं, सब स्वार्थी हैं... हृदयहीन हैं ...!! किरण की बातों से उसके पत्ते कुछ ज़्यादा ही लटक गए थे। अच्छा होता आती ही नहीं । इन सबसे ठीक तो पानी ही था, जिसकी बातों में ठंडक थी। बेचारा शुरू से ही खुशामद में लगा था, “देखो गुलू भैया, तुम यों रूठे रहोगे तो सब लोग मेरा मज़ाक उड़ाएँगे कि गुलू ने अपने सबसे गहरे दोस्त की बात भी नहीं मानी | तुम्हारी हार मेरी हार है... इसलिए अपने लिए न सही मेरे लिए ही कुछ खा पीलो।'' हर गे मा रद हु हित 0 2 14 आम ८:57 292 न मा हक ८0071 .&] एक ५ 28 मिट्टी की बात हम 13 बेशक पानी की बातें गुलू को हमदर्दी भरी लगीं पर मन का खालीपन नहीं गया। उसे नहीं लगा कि इस नई जगह पर जीने और खुश रहने लायक कुछ है। अनचाही स्थिति में जीने का कोई विचार नहीं था उसका | दूर डाली पर चिड़ियाँ कह रहीं थीं, “बेचारा गुलू| कितना बुरा हुआ है उसके साथ | अब ज़रूर मर जाएगा | गुलू को भी विश्वास हो गया कि अब उसके पास एक ही रास्ता है- मर जाना | सचमुच उसके पत्ते बिल्कुल मुरझा गए | मिट्टी को बहुत चिन्ता हुई। उसके सामने एक प्यारा पौधा सूख जाए, बड़े अफसोस की बात होगी | वह तो चाहती है उसकी गोद में हर पौधा खूब बढ़े, खिले | उसने धीरे-से पुकारा, “क्या सचमुच तुमने मरने का फेसला कर लिया है गुलू?'' “क्या तुम्हें कोई शक है? गुलू ने उल्टा प्रश्न किया | है ध ० न ५ हा 8 कक कप ॥ हे हे च्् ही]! गम ग्क 22202: 22:22 मिट॒टी की बात 29




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now