पापा की मूछें | PAPA KI MOOCHHAIN
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
915 KB
कुल पष्ठ :
12
श्रेणी :
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माधुरी पुरन्दरे - MADHURI PURANDARE
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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हर सुबह, जैसे ही उसके पापा दाढ़ी बनाना शुरू करते हैं, अनु भी उनके पास आकर बैठ जाती है। बड़े ध्यान से उन्हें दाढ़ी बनाते हुए देखती है। उसके
पापा अपनी दो उँगलियों में एक छुटकू-सी कैंची पकड़े, कच-कच-कच... अपनी मूँछों को तराशने में जुट जाते हैं। और अनु है कि कहती जाती है,
“थोड़ा बाएँ... अब थोड़ा-सा दाएँ... पापा नहीं ना! आप अपनी मूँछों को और छोटा मत कीजिए! आप ऐसा करेंगे तो मैं आपसे कट्टी हो जाऊँगी!”
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