कामरेड शंकर गुहा नियोगी के तीन लेख | SHANKAR GUHA NIYOGI KE TEEN LEKH

SHANKAR GUHA NIYOGI KE TEEN LEKH by cmssपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नेल्सन मंडेला तीन दशक के लड़ाई के बावजूद सत्ता पर बेंठे नस्ल- वादियों के खिलाफ कुछ भी न कर पाये । स्पष्टसः सोवियत खेमे के वर्चस्व का अन्त व उसकी तीसरो दुनिया के जनेवादी संघर्षो से बिल्कुल अलग-थलग हो जाने के कारण ही यह संभव हुआ हैं- आज पूरी दुनिया में सत्ता पर वही बैंठता हैं? जिसे बहुराष्ट्रीय कम्पतियां चाहती हैं। फिर भी तीसरी दुनियां की संघर्षशील जनता अपने मोर्चे पर डटी हुई है । ० राजीव के चेहरे को उड़ाया गया पाक में जिया-उल-हुक की हुत्या में उनका पूरा शरीर चिथड़े-चिथड़े कर दिया गया था शव की शिनाख्त जबड़े से की गई थी उसक बाद चुनाव परिणामों ने स्पष्ट किया कि चेहरा खत्म करने से हानुभूति लहर नहीं बनी और जिया के हत्या के तुरन्त बाद बेनजीर चुनाव में विजयी हुई । जबकि १९८४ में श्रीमति गांधी के अक्षत चेहरे को दिखाकर कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति लद्दर बनाई गई । इस बार वे नहीं चाहते थे कि काँग्रेस के पक्ष में बहुत सहानभूति उठ .....। आय राजीव का चेहरा उड़ा दिया गया, शिनाख्त उनके जूतों से हुई । ० और यहु भी पहली बार हुआ स्वतंत्र भारत के इतिहास में इससे पूर्व ? चुलाव हो चुके पर कभी भी चुनाव के पहले दौर व अंतिम दौर के दरम्यान ७ दिनों का अंतराल नहीं हुआ था | क्‍या तीन अलग-अलग तिथियों पर हफ्ते भर मे होने वाले चुनाव तिथियों की घोषणा महज एछक्र संयोग है अथवा यह भी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साजिश का अंब है ? श्रीमति सोनिया गांधी को कांग्रेस (ई) की अध्यक्ष चुनकर भी लगता हैं भाजपा को काँग्रेस के विरूद्ध प्रचार हेतु एक तया अस्त्र देने का प्रयास किया गया ।.. (१५)




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