मोरंगे - अगस्त 2009 | MORANGE - AUG 2009
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
20
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बात ले चीत लै
दादाजी का दस्ताना
एक थे बूढ़े दादाजी | जंगल से होकर कहीं
जा रहे थे। पीछे-पीछे उनका कुत्ता भाग
रहा था। चलते-चलते दादाजी के हाथ का
दस्ताना गिर गया। इस बीच कहीं से एक
चुहिया दौड़ती आई और दादाजी के दस्ताने
में छिपकर बैठ गई और जरा दम लेकर
बोली-'अब मैं यहीं रहूँगी।'
इसी वक्त एक मेंढक फुदकता हुआ वहाँ आ
पहुँचा। उसने आवाज दी-
दस्ताने में कौन रहता है ?
अरे में हूँ चुनमुन चुहिया लेकिन तुम कौन हो ?
मैं फुदकू मेंढक हूँ। मुझे भी अंदर आ जाने दो!
ठीक है, अंदर आ जाओ।
इस तरह एक से दो हो गए। अचानक भागता हुआ एक खरगोश वहाँ आ पहुँचा और
दस्ताने के करीब आकर उसने आवाज दी-*दस्ताने में कौन रहता है ?'
अरे हम हैं-'चुनमुन चुहिया,फुदकू मेंढक | लेकिन तुम कौन हो ?
मैं उड़न-छू खरगोश हूँ मुझे भी अंदर आ जाने दो!
ठीक है,अंदर आ जाओ ।
अब वे तीन हो गए। ठीक इसी वक्त दौड़ती-दौड़ती एक लोमड़ी वहाँ आ पहुँची |
दस्ताने के पास आकर उसने आवाज दी-
'दस्ताने में कौन रहता है ?'
अरे हम हैं-चुनमुन चुहिया,फुदक् मेंढक और उड़न-छ खरगोश | लेकिन तुम कौन हो
कद
में हूँ चटक-मटक लोमड़ी। मुझे भी अंदर आ जाने दो॥।'
'ठीक है! अंदर आ जाओ।'
इस तरह एक-एक कर वे चार हो गए।
इसी समय दौड़ता हुआ एक भेड़िया वहाँ आ पहुँचा। दस्ताने के पास आकर उसने
आवाज दी-
'दस्ताने में कौन रहता है ?'
अरे हम हैं-'चुनमुन चुहिया,फुदक् मेंढक, उड़न-छ खरगोश और चटक-मटक लोमड़ी!
लेकिन तुम कौन हो ?'
में हूं भुक्खड़ भेड़िया| मुझे अंदर आ जाने दो!'
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