हिरनौटा | HIRNOUTA

HIRNOUTA  by दमीत्री मामिन सिबिर्याक -DAMITRI MAMEN SIBIRYAKपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गोली चली और हिरन तीर की तरह भाग उठा। येमेल्या का निशाना 5४० चूक गया था, लीस्को भूख के मारे हूक ५ उठा। बेचारे कुत्ते को हिरन के भूने ८ मांस की गंध आ रही थी, बड़ी सी ४201 #010 * हड़डी दिखाई दे रही थी, जो मालिक कक <_ उसे देगा, लेकिन इसके बजाय उसे कि खाक 1 1 भूखे पेट सोना पड़ रहा था। बहुत ही बुरी बात थी। “चलो, मौज लेने दो उसे... हमें तो हिरनोटा पाना है... सुना तूने लीस्को?” रात को सौ साला फर वृक्ष के नीचे आग के पास बैठे हुए येमेल्या कह रहा था। कुत्ता अपनी नुकीली थूथनी अगले पंजों पर रखे दुम हिला रहा था। उसके भाग में आज बस रोटी का सूखा दुकड़ा ही लिखा था, जो येमेल्या ने उसे दिया। (3) तीन दिन तक येमेल्या जंगल में भटकता रहा और सब बेकार : हिरनौटे के साथ हिरन उसकी नज़र में नहीं आए। बूढ़े को लग रहा था कि उसमें अब और हिम्मत नहीं रही, मगर खाली हाथ घर लौटने का साहस भी वह नहीं कर पा रहा था। लीस्को बिल्कुल उदास हो गया था और दुबला पड़ गया था। हालाँकि इस बीच दो-एक छोटे-छोटे खरगोश उसने पकड़ लिये थे। तीसरी रात भी उन्हें जंगल में आग के पास काटनी पड़ रही थी। सपने में भी बूढ़े येमेल्या को पीला सा हिरनौटा दिखता था, जैसा ग्रिशूक ने लाने को कहा था; श्िच्गीटा 16




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