बच्चों के बादशाह यानुश कोर्चाक | BACHCHON KE BADSHAH - JANUSH KORCZAK

BACHCHON KE BADSHAH - JANUSH KORCZAK by ग्लोरिया स्पीलमेन - GLORIA SPEILMANपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उनका बेटा अभी भी छोटे बच्चों के खेलों से क्यूं खेलता था? माँ कुछ ज्यादा ही परेशान रहती थीं - हेनरिक के मन में कुछ बड़ा बनने की चाहत, अभिलाषा ही नहीं थी. पिता उसे गालियाँ देते - उसे पत्थर, गधा और डरपोक बुलाते. हैनरिक हमेशा एक ऐसी दुनिया के बारे में सपने संजोता जिसमें कोई बच्चा गरीब न हो और हर बच्चे को प्यार मिले. शायद ऐसी काल्पनिक दुनिया में पैसों की ज़रुएत ही न हो. वहां पर कोई बच्चा रईस या गरीब न हो - और सब बच्चे मिलजुल कर एक-साथ खेले. जब हेनरिक ग्यारह साल का था तो उसके पिता की तबियत ख़राब हो गयी. पिता के इलाज, घर खर्च और बच्चों को खाना खिलाने के लिए माँ को क़र्ज़ लेना पड़ा. इसके लिए माँ ने बहुत सा महंगा सामान बेंचा और घर चलाने के लिए कुछ कमरों में किरायेदार भी रखे. हेनरिक भी कुछ काम करने लगा. वो रईस बच्चों की ट्यूशन लेता. सात साल बाद पिता जोसफ का वदेहांत हुआ और अब हेनरिक की ज़िन्दगी पहले से भी ज्यादा स्याह हो गयी. इस उबाऊ ज़िन्दगी से बचने के लिए हेनरिक कवितायें, नाटक और कहानियां लिखने लगा. जब एक संपादक ने उसके लेखों का मज़ाक उड़ाया, तो हेनरिक ने तुरंत लिखना बंद कर दिया. फिर उसने कोई उपयोगी धंधा अपनाने की सोची और डॉक्टर बनना तय किया.




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