एक था रामू | EK THA RAMU

EK THA RAMU by अशोक सेकसरिया - ASHOK SEKSARIYAपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8/0/2016 निकलना तय किया। घूमते-घूमते एम.पी. लोगों के बँगलों के पास पहुँच गया। बस स्टैण्ड पर भारत भूषण के बारे में पूछा तो कोई भी कुछ नहीं बता सका। अपनी पुरानी गली में गया। भारत भूषण के पिता रतनलाल से मिला| रतनलाल ने बताया कि भारत भूषण चण्डीगढ़ में एक कैन्टीन में दो बरस से नौकरी कर रहा है। रामू के बारे में पूछा तो रतनलाल को उसका कुछ भी पता नहीं था। सात-आठ साल का एक लड़का हमारी बातचीत सुन रहा था। उसने बताया कि भारत भूषण के कुत्ते टाइगर को कमेटी वाले ले गए थे। कब ले गए थे यह मैंने नहीं पूछा। लड़का जो बताता उससे बहुत पता नहीं लगता। मैं चुपचाप घर लौट आया। उस रात मुझे चार-पाँच बार लगा कि कोई मेरा दरवाजा खटखटा रहा है। एक बार उठा तो कोई नहीं था। फिर उठा नहीं और जाने कब सो गया। शीर्ष पर जाएँ 44




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