साबुन के बुलबुले | SOAP BUBBLES

SOAP BUBBLES by पुस्तक समूह - Pustak Samuhसी० वी० बॉयज - C. V. BOYS

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
18 साबुन के बुलबुले नीला रंग दिया है। यह इस श्वेत तश्तरी की तली में भरा है। इस समय पानी की त्वचा इसे सब दिशाओं में समान रूप से खीच रही है, अत: कोई क्रिया दृष्टिगोचर नहीं हो रही है। लेकिन जब मैं एल्कोहॉल की कुछ बूंदें पानी के मध्य में डालता हूँ, तो उस स्थान पर जहाँ यह दोनों द्रव आपस में मिलते है, दोनों में एक संघर्ष सा छिड॒ जाता है। एल्कोहॉल पानी के अंदर प्रविष्ट करने का प्रयास करता है, पर पानी इसे बाहर धकेलने की प्रवृत्ति प्रदर्शित करता है। आप इस संघर्ष का नतीजा देखते हैं- पानी विजयी होता हे। एल्कोहॉल की कुछ मात्रा साथ लिये यह सब दिशाओं में भागने लगता है और तश्तरी की तली को यह लगभग सूखा छोड देता है। पानी ओर एल्कोहॉल या भिन्‍न-भिन्‍न सांद्रता वाले एल्कोहॉलों की त्वचा की शक्ति का अंतर एक विचित्र गति उत्पन्न करता है जो सांद्र अंगूरी मदिरा, वाइन*, पोर्ट” आदि में देखी जा सकती है। इसमें मदिर गिलास के किनारों पर बड़ी-बड़ी बूंदों के रूप में एकत्रित हो कर, पुनः नीचे बहती दीखती है। इसे निम्न व्याख्या से समझा जा सकता हें- हवा की क्रिया से, गिलास में किनारों की ओर मदिरा की पतली सतह में पानी का वाष्पीकरण” होता है। अत: सतह पर नीचे की मदिरा की अपेक्षा एल्कोहॉल की सांद्रता बढ़ जाती है। इस कारण सतहीं मदिरा की त्वचा अधिक शक्तिशाली हो जाती है और यह नीचे की मदिरा को ऊपर खीचती है। इससे काँच के ऊपरी भाग में बूँदें निर्मित हो जाती व्याख्यान- ! 19 है। कुछ समय बाद यह पुनः गिलास में नीचे बह आती है। यह आप पर्दे पर देख रहे है (चित्र 141)। इस तथ्य का उल्लेख 'प्रावर्बण्‌ ” नामक प्राचीन पुस्तक में है; “शराब को उस समय न देख जब वह लाल है, वह अपना रंग प्याले को देती है और गतिशील हे।'' यह गतिशीलता केवल सांद्र शराब में ही दीखती हे। उस युग में जब उपरोक्त शब्द लिखे गये थे सब लोग शराब पीते थे। अत: वह यह जानते होंगे, और शराब के इस गुण को उस की सांद्रता जानने का आधार मानते होंगे। अतः आप सहमत होंगे कि उपरोक्त पंक्ति की प्रस्तुत व्याख्या सही है। मैं चाहता हूँ आप इस बात पर विचार करें कि शायद प्राचीन पुस्तकों के अन्य लेखांशों में भी इसी प्रकार उस समय के प्रचलित ज्ञान तथा रीति-रिवाजों का उल्लेख हो। ईथर “? की त्वचा भी पानी की त्वचा से दुर्बल होती है। पानी की सतह पर ईथर कौ बहुत कम मात्रा भी अपना प्रभाव प्रत्यक्ष दिखाती है। तार की इस संरचना को मैने अभी कुछ समय पहले पानी की त्वचा पर रखा छोड दिया था। यह अब भी उसी स्थिति में हैं। पानी की उत्प्लावकता (बायंसी “” काँच के गोले को ऊपर धकेलने का प्रयास कर रही है, लेकिन यह बल पर्याप्त




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now