सौ श्रेष्ठ बाल कहानियाँ | SAU SHRESHTA BAL KAHANIYAN

SAU SHRESHTA BAL KAHANIYAN by पुस्तक समूह - Pustak Samuhरोहिताश्व अस्थाना - ROHITASHWA ASTHAANA

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रोहिताश्व अस्थाना - ROHITASHWA ASTHAANA

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सूर्ले बाज शुक गांव में रामधन नाम का एक आदमी रहता था। उसे चूजों से बहुत प्यार था। वह अक्सर अपनी हथेली में चूजा लेकर घूमा करता था एक दिन एक बाज न जाने कहां से उड़ता हुआ आया और उसके हाथ से चूजें को झपटकर उड़ गया। रामधन बेचारा मन मसोसकर रह गया। -वह अपनी आदत के अनुसार चूजे को बिना हथेली में रखे कहीं नहीं जाता था। अत: फिर से दूसरा चूजा हथेली में रखकर घूमने लगा। चार दिन बाद फिर से वही बाज दूसरे चूजे को भी उसकी हथेली से ले उड़ा। रामधन इस हादसे से अत्यन्त दुखी हो गया। परन्तु वह अपनी आदत से लाचार था| एक सप्ताह के बाद वह पुन: अपनी हथेली पर एक और चूजा लेकर निकला लेकिन इत बार वह सतर्क था। उसने अपने दूसरे हाथ की तर्जनी में तेजधार का एक ब्लेड बांध रखा था। वह अभी कुछ दूर चला ही था कि सामने से बाज को अपनी हथेली की ओर झपटते देखा। उसने तुरंत अपनी हथेली की थोड़ा मीचे करते हुए ब्लेड बंधी ऊंगली को ऊपर कर दिया जिससे ब्लेड बाज के पेट को फाइता चला गया। उसकी अंतड़ी बाहर लटकने लगीं। अचानक उस मूर्ख बाज ने उसे चूजे की अंतड़ी समझकर जोर से खींचा लेकिन पलक झपकते ही वह स्वय जमीन पर गिरकर तड़पने लगा। रामधन ने उस दिन अपनी चालाकी से चूजे को बचा लिया लेकिन बाज अपनी मूर्खता से अपनी जान गा बैठा। बच्चों, सोच समझकर काम करने से रामधन ने अपने झन्नु को नष्ट करने में सफलता पायी जबकि बिना विचार किए कार्य करने में बाज का नाश हो गया। “अक्षम मिश्रा गौशालापारा रामभाठा रोड़ रायगढ़ (म. प्र) 19




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