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श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
6
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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सुधा ओम ढींगरा - Sudha Om Dhingra
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शादी की संस्था में विश्वास करता है.
उसका मन तन्वी को एक व्यावसायिक
लड़की के साथ-साथ एक पत्नी के रूप में
भी देखना चाहता है. घर के कामों के
लिए वह पत्नी नहीं लाया, वे सब काम
तो वह स्वयं भी कर लेता है. वह पत्नी
को एक साथी, संगिनी के रूप में देखना
चाहता है. उसके लिए तालमेल ज़रूरत है.
उसे लगा था कि उसने तन्वी को
अपनी सोच, अपने विचारों और जीवन
दर्शन से काफ़ी हद तक परिचित करवा
दिया था और उसने भी बड़ी उमंग के
साथ अपने इस तरह के विचारों को
प्रगट किया था. उसने तन््वी और उसके
परिवार को यह भी बताया था कि
वीज़ा के लिए कम से कम तीन महीने
. का समय लगेगा और उसके लिए धैर्य
की ज़रूरत होगी. अब उसे इतनी
हड़बड़ी क्यों? जब से वह आई है उसने
एक बार भी उसके बारे में नहीं सोचा.
बुद्धि में शंका निवास कर गई है. कहीं
कुछ गड़बड़ है. इसी दंद्व में उसने
फ़ाइल एक तरफ़ रख दी और
सोचते-सोचते सो गया. सुबह उसे
कैलिफ़ोर्निया की फ्लाइट पकड़नी है.
कैलिफ़ोर्निया पहुँचते ही उसे तन्वी
का गुस्से से भरपूर शब्दों के बाण
छोड़ता फ़ोन आया-“साकेत, मैंने तुम्हें
समझने में भूल की...सोचती थी कि
तुम विदेश में रहते हो, तुम्हारी सोच
प्रगतिशील पुरुष की सोच होगी, जो
स्त्री को बराबरी का दर्जा देगा. पर तुम
उसी मानसिकता के शिकार निकले
जिससे हमारी पीढ़ी की लड़कियाँ लड़ रही
हैं. तुम जान-बूझकर साइन नहीं करके गए
ताकि मैं तुम्हारी मिन्नतें करूँ और तुम्हारे
सामने बिछ जाऊँ. मिस्टर साकेत पाठक,
में आधुनिक लड़की हूँ. अपने अधिकारों
के प्रति सजग हूँ. तुम्हें वापिस आते ही
साइन तो करने पड़ेंगे. यह मेरा हक़ है.
वीज़ा तो मैं लेकर रहूँगी.” और उसने
फोन काट दिया.
साकेत सकते में आ गया. क्या
आधुनिक नारी ऐसी होती है कि मतलब
है तो पति के लिए संबोधन “आप' नहीं
तो “तुम”... सच जाने बिना बस पति को
कटधरे में खड़ा करके दोषी घोषित कर
जुलाई 2013
दो, उसे बोलने का मौका भी न दो. उसे
तन्वी के व्यवहार से झटका लगा. जब से _
वह आई है, वह तनाव में रह रहा है
संबंधों में जिस मधुरता की तलाश वह कर
रहा था, वह अगरबत्ती के धुएँ-सी खुशबू
न देकर काला धुआँ छोड़ती हुई उसका
दम घोंट रही है. देश से जब भी वह फ़ोन
करती तो बड़ी मीठी-प्यारी बातें करके
रेखांकन : सोरभ
उसका हाल-चाल पूछती थी. अब क्या हो
गया? उसका अस्तित्व ही नकार दिया
गया है. वह क्या चाहता है, तन््वी ने यह
जानने की कोशिश ही नहीं की. उससे
कहाँ गलती हो गई...वह सोचने लगा.
.. पितृसत्ता से भारतीय नारी बेइंतिहा
पीड़ित हो चुकी है, वह समझता है. वह
स्वयं भी पितृसत्ता के विरुद्ध है. अभी _
तन्वी ने उसे समझा ही कितना है जो इस
तरह की बातें कह गई. जूलिया व्यवसायी,
महत्त्वाकांक्षी बड़े अच्छे स्वभाव वाली
लड़की है, पूर्वी सभ्यता के रंग में रँग गई
है; फिर भी उसने जूलिया का प्रणय
निवेदन स्वीकार नहीं किया, क्योंकि वह
बात॑-बात में नारी सशक्तीकरण का झंडा
उठा लेती थी. साकेत इसे एकतरफ़ा सोच
मानता है. झंडा वहाँ उठाया जाए जहाँ
पुरुष अपनी सत्ता का दुरुपयोग करे. जो
पुरुष स्वयं ही इस सत्ता के विरुद्ध हो,
उसे तो इससे दूर रखा जाए. ऐसा व्यवहार
तब नारेबाज़ी का रूप ले लेता है. क्या
तन्वी भी ऐसी है? उसके भीतर कई प्रश्न
कुकरमुत्ते-से उग गए. ? शिट्ठाः
पूरा सप्ताह तन्वी ने उसके फ़ोन
कॉल्स का उत्तर नहीं दिया. साकेत॑ की
बहुत बुरा लगा. नई-नई शादी हुई है
और ऐसा संबंध. उसने अपने भाई से
बात की, जो तन्वी को पहले से जानता
था. वह भी तन्वी के इस तरह के
' व्यवहार से हैरान हो गया. - 800
कैलिफोर्निया. का काम शीतदघ्र
समाप्त हो गया और वह एक दिन
पहले घर वापिस आ गया. रास्ते भर
तन्वी को अचम्भित करने की कल्पना
करता रहा. दरवाज़ा खोलते ही तनन्वी
के चेहरे के हाव-भाव बदले हुए लगे.
उसके अकस्मात् आने पर वह खुश
नहीं हुई. घर के भीतर प्रवेश करते ही
उसे एक नौजवान मिला.
“साकेत, ये मेरे मित्र मनु हैं, जो
मेरे साथ कॉलेज में पढ़ते थे. यहाँ मॉल
में मुझे मिल गए और मैं इन्हें घर ले
आई.” साकेत ने हाथ मिलाया और
छूटते ही कहा-“आपको उसी फ़्लाइट
में एयरपोर्ट से बाहर आते देखा था,
जिसमें तन्वी आई थी.” तन्वी एकदम
बोली-“नहीं साकेत, ये तो पिछले एक
वर्ष से यहाँ हैं. आपको भ्रम हुआ है.”
साकेत मुस्करा दिया. उसे पता था कि उसे
भ्रम नहीं हुआ. उसने तन्वी से कुछ दूरी
पर मनु को जहाज़ से बाहर लॉबी में आते
देखा था. मनु रात के खाने के लिए नहीं
रुका.
निवेदन पत्र और उससे जुड़े दस्तावेज़ ले
आई. साकेत को हैरानी नहीं हुई. उसे
ऐसी ही उम्मीद थी. उसने भी सबकुछ पढ़
कर हस्ताक्षर कर दिए. वह थकान का
बहाना करके अपने कमरे में सोने चला
गया. उसने अपने मोबाइल में वे चित्र देखे
जो उसने एअरपोर्ट पर तन्वी के खींचे थे.
रात्रि भोजन के बाद तन्वी वीज़ा का
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