मौसम | SEASON
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
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श्यामसुंदर शर्मा - Shyamsundar Sharma
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अध्याय दो
मौसम क्या है?
सम का अर्थ है किसी स्थान विशेष पर, किसी खास समय, वायुमंडल की स्थिति।
यहां “स्थिति '' की परिभाषा कुछ व्यापक परिप्रेक्ष्य में की जाती है । उसमें अनेक कारकों यथा
हवा का ताप, दाब, उसके बहने की गति और दिशा तथा बादल, कोहरा, वर्षा, हिमपात आदि, की
उपस्थिति और उनकी परस्पर अंतक्रियाएं शामिल होती हैं। ये अंतक्रियाएं ही मुख्यत: किसी स्थान
के मौसम का निर्धारण करती हैं। यदि किसी स्थान पर होने वाली इन अंतःक्रियाओं के लंबे समय
तक, उदाहरणार्थ एक पूरे वर्ष तक , अवलोकन करके जो निष्कर्ष निकाला जाता हैं तब वह उस स्थान
की “जलवायु'”कहलाती है ।मौसम हरदिन बल्कि दिन में कई बार बदल सकता है ।पर जलवायु आसानी
से नहीं बदलती |किसी स्थान की जलवायु बदलने में कई हजार ही नहीं वरन् लाखों वर्ष भी लग सकते
हैं।इसीलिए हम “बदलते मौसम ' की बात करते हैं, बदलती हुई जलवायु' की नहीं ।हम मौसम के बारे
में ही समाचार-पत्रों में पढ़ते हैं, रेडियो पर सुनते हैं और टेलीविजन पर देखते है।
मौसम लोगों के तेवर से लेकर इतिहास तक को प्रभावित कर सकता है जबकि जलवायु किसी
जीवधारी के समूचे वंश को प्रभावित कर सकती है ।जलवायु में होने वाले परिवर्तन जीव-जंतुओं के समूचे
वंशों को ही समाप्त कर सकते हैं। अतीत में ऐसा अनेक बार हुआ भी है।ये परिवर्तन हिमयुगों के आगमन
अथवा उनके समापन जैसी बड़ी घटनाओं के फलस्वरूप बहुत धीरे-धीरे ही प्रगट होते है ।
यह निर्विवाद तथ्य है कि किसी स्थान का मौसम ही अंतत: उस स्थान या क्षेत्र की जलवायु का
निर्माण करता है। लंबे समय तक चलनेवाला मौसम ही जलवायु का रूप ले लेता है। उदाहरणार्थ
उत्तर भारत में गर्मी की ऋतु में जलवायु गर्म और शुष्क रहती है; वर्षा गर्मी के अंत में होती है और
सर्दियों में जलवायु ठंडी और शुष्क रहती है हमारे तटीय प्रदेशों में जलवायु लगभग वर्ष भर गर्म और
नम रहती है। इसका अर्थ यह नहीं है कि गर्मी में और सर्दी में महीनों में वर्षा कभी भी नहीं होती ।
उस वर्षा से सर्दी या गर्मी में मौसम बदल सकता है -- जलवायु नहीं ।
यद्यपि वायुमंडल के विभिन्न घटकों की पारस्परिक क्रियाओं के फलस्वरूप ही मौसम का निर्माण
होता है पर इन घटकों की गतिविधियों को कुछ “बड़े तत्व” अत्यधिक प्रभावित करते हैं। वे इनको
नियंत्रित करते हैं।ये तत्व हैं सूर्य, पृथ्वी और पृथ्वी की भौतिक संरचनाएं | ये भौतिक संरचनाएं हैं,
पर्वत, घाटी , सागर, मरुस्थल आदि | वैसे स्वयं वायुमंडल की भी अपनी गतिविधियां हैं; उसके अपने
स्वाभाविक गुण हैं। इन तत्वों में सबसे शक्तिशाली है सूर्य । इसलिए अपनी चर्चा सूर्य के 'गुणगान'
से ही आरंभ करें।
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