फौजी लड़कियाँ तथा अन्य कहानियाँ | FAUJI LADKIYAN TATHA ANYA KAHANIYAN
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
57
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
चिनुआ अचेबे - CHINUA ACHEBE
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)30 फौजी लड़कियाँ तथा अन्य कहानियाँ
सारी सुबह वह अपना छोटा-सा गीत गाती रही और खुश होती
रही | एक बजे जब मिस्टर ऐमनिके बड़े बच्चों को घर छोड़कर
चले गये तो वैरो ने उन्हें अपना नया गीत सिखाया । यह उन्हें
बहुत पसन्द आया और कई दिनों तक स्कूल के “बा-बा ब्लैक शीप'
और “सिम्पल साईमन' जैसे गीतों की जगह उस गीत ने लिए
रखी |
भयह लड़की तो जीनियस है,” मिस्टर ऐमनिके ने कहा, जब
गीत आखिर उन तक पहुँच गया । उनकी बीवी का, जिसने इसे
पहले ही सुन लिया था, तो हँसी से गला रूँध गया । उन्होंने वैरो
को बुला कर कहा था; “तो तुम मेरी गाड़ी का मजाक उड़ाती हो,
जैतान लड़की” वैरो यह सुनकर खुश हुईं थी क्योंकि उसे उनकी
आँखों में गुस्से की जगह हँसी दिखाई दी थी ।
“यह लड़की तो जीनियस है,” उनके पति ने कहा था, “और
यह अभी स्कूल भी नहीं गई है ।”
“और साथ ही यह जानती, है कि तुम्हें मुझे नई गाड़ी खरीद
कर देनी चाहिए ।”
“इसमें क्या है, डियर, एक साल और, फिर तुम स्पोर्ट्रस-कार
ले सकती हो ।” ह
“हटो, जाने दो ।॥”
“तुम्हें विश्वास नहीं मुझ पर ? जरा सब्र करो, फिर |
देखना ।”
और हफ्ते, महीने गुजर गये । छोटा गौड्डी अब कुछ-कुछ बोलने
भी लगा था | लेकिन फिर भी किसी ने वैरो के स्कूल जाने की
बात पर गौर नहीं किया । उसने फैसला किया कि यह छोटे गौड्डी
. का ही कुसूर था क्योंकि वह तेजी से बड़ा नहीं ही रहा था । और
अब तो उसे वैरो की पीठ पर सवारी करने में कुछ ज़्यादा ही मजा
आने लगा था, हालाँकि वह अच्छी तरह चल सकता था । सच
तो यह है कि उसको “मुझे उठाओ' शब्द ही सबसे अधिक प्रिय
थे । वैरों ने इसके बारे में भी एक गाना बनाया था जिसमें उसकी
पागलपन ह 31
बढ़ती हुई. उद्विग्तता दिखाई देती थी :
तुम्हें उठाऊँ ! तुम्हें उठाऊँ ।
हर बार में तुम्हें उठाऊँ ।
बढ़ना तुम्हें नहीं है अगर
छोड़ तुम्हें स्कूल में जाऊँ
क्योंकि वैरों गई है थक
थक गई है, थक गई है । |
वह सारी सुबह गाती रही, लेकिन जब दूसरे बच्चे स्कूल से
लौटे तो वह चुप हो गई । वह इस गाने को तभी गाती थी, जब
वह गौड्डी के साथ अकेली होती थी ।
एक दोपहर जब मिसेज ऐमनिके काम से लौटीं तो उन्होंने वैरो.
के ओठों पर लाली लगी पाई ।
“यहाँ आओ,” उन्होंने अपनी कीमती लिपस्टिक के बारे में सोचते
हुए कहा |
“यह क्या है ?”
लेकिन वह उनकी लिपस्टिक नहीं उनके पति की लाल स्याही
निकली । तब वह अपनी मुस्कराहट नहीं रोक पाई ।
“और इसके नाखून तो देखो | और अँगूठे भी ! तो जब हम
बाहर जाते हैं, छोटी मैडम यही करती रहती हैं छोटे बच्चे की
देख-रेख के बकले-1 तुम उसे कहीं भी पटक कर अपनी लीपा-
पोती करने लगती हो । फिर क्रभी तुम्हें ऐसे नहीं पाऊँ । सुना
: तुमने ?” उन्हें लगा कि अपनी शुरू की मुस्कराहट के प्रभाव को
ठीक करने के लिए अपनी चेतावनी को किसी प्रकार शक्तिशाली:
बनाना चाहिए
“तुम्हें पता है लाल स्याही जहरीली होती है ? तुम खुद को - :
मारना चाहती हो क्या ? तो इसके लिए तुम्हें इन्तजार करना होगा
छोटी मैडम, जब तक कि लुम मेरा घर छोड़कर अपनी माँ के घर
न चली जाओ ।॥”
अब बनी न बात,” उन्होंने स्वयं पर रुश होते हुए स्लोच्रा !
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