लाखो | LAKHO

Book Image : लाखो  - LAKHO

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

अमरकान्त - AMARKANT

No Information available about अमरकान्त - AMARKANT

Add Infomation AboutAMARKANT

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ने चुन्नीलाल और लाखो को जोड़कर एक किंस्सा सुनाया। नौसा की माई का देवर था चुन्नीलाल। करीब पैंतालिस वर्ष की उम्र, पतली-लम्बी कद-काठी, आँखों से उसे कुछ कम ही दिखाई देता | उसकी दो-दो शादियाँ हो चुकी थीं। पहली बीवी हैजे से मर गई । दूसरी भी धूमधाम से शादी करके लाई गई। पर एक दिन गहना-गुरिया लेकर वह अपने पुराने यार के साथ चम्पत हो गई। चुन्नीलाल ने काफ़ी दौड़-धूप की । मान-मनौवल चली | पंचायत बैठाई गई | पर वह आने को तैयार नहीं हुई । अब चुन्नीलाल अकेला पड़ गया था। उसके पास थोड़ी बहुत खेती थी । उसके अलावा वह सुबह-शाम ठाकुर टोले में मेरे यहाँ और कम्पाउंडर साहब के यहाँ पानी भर दिया करता । किस्सा यह है कि एक दिन जाड़े के मौसम में लाखो इमली के बगीचे में बोझ नीचे पटककर बैठी हुई थी | उन दिनों बगीचे में धान का खलिहान लगा हुआ था। चुन्नीलाल भी खेत से लौटकर उसी बगीचे में अपना धान सुखा रहा था । कहते हैं कि लाखो चुन्नीलाल को देखकर मुस्की काटने लगी। फिर दोनों हँस-हँसकर एक-दूसरे से बातें करने लगे । लाखो खूब खुश थी। उन दोनों के इस व्यवहार को गाँव के कई स्त्री-पुरुषों ने देखा। बस, यह ख़बर आग की तरह गाँव भर में फैल गई | लोग कहने लगे, अरे, ई देखने में ही पगली लगती है, पर है बहुत चालाक | देखो, चुन्निया को कैसे फेँसा लिया। इस चुन्निया का क्या, दो बीवी रख चुका है, एक और रख लेगा।' मैंने नौसा की माई को बुलवाया और कहा, बहुत चन्दन-टीका लगाए घूमती हो, कुछ लाखो के बारे में भी सोचा ? अरे, इसकी चुन्निया से शादी करवा _ दो। चुनिनिया भी बे-औरत, बे-औलाद है । उसको एक सहारा मिल जाएगा लाखो / अमरकान्त 13




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now