पौधा और मैं | PAUDHA AUR MEIN

PAUDHA AUR MEIN by अनुराधा जोशी - ANURADHA JOSHIपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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अनुराधा जोशी - ANURADHA JOSHI

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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. सिखाये गये मूल्यों भूमिका छोटी उप्र में पड़े संस्कार ही चरित्र का निर्माण करते हैं। इस समय बच्चों में अद्भुत ग्रहण शक्ति होंती है जिसके कारण वे बड़ी सहजता से संस्कार गढ़ना बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाता है। द बाल गीतों का यह छोटा संग्रह इसी दिशा में एक प्रयास है। इसका दूसरा संस्करण निकालते हुए हमें अत्यंत हर्ष हो रहा है। प्रथम संस्करण में विशेष संशोधनों के लिये हम श्रीकांत जोशी जी के आभारी हैं। बाल शिक्षकों से विशेष अनुरोध है कि वे ऐसे बाल गीत अवश्य सुनाएँ जो बच्चों के जीवन व प्रकृति के यथार्थों से जुड़ हो। शिक्षक सा८ जारण से साधारण विषय को आधार बनाकर गीत स्वयं रच सकते हैं। इस प्रकार बच्चों की जानकारी बढ़ेगी। कहानियों को संवाद, आवाज के उतार. चढ़ाव व चेहरे के भावों से रोचक बनाएँ। . पर्यावरण के किसी एक विषय बिन्दु से महीने भर का पाठ्यक्रम आसानी से बनाया जा सकता है। उस विषय बिन्दु के बारे में कुछ प्रश्न पूछे जा सकते हैं, जैसे- क्या, कौन, कैसे, कहां, किसलिए आदि। इन प्रश्नों के आधार पर पाठ्यक्रम या परियोजना बन सकती हैं। उदाहरण के लिए .. यदि “पानी” को एक माह का विषय चुनते हैं तो उक्त सवाल पूछे जा सकते हैं जैसे- पानी क्या है? पानी कहां से आता है? पानी किसके लिए. . जरूरी है? साफ पानी क्या है? गंदा पानी कया है? पानी में क्या डूबता . है, क्या तैरता है? (खेल-क्रिया) पानी के पास ले जाना, पानी से चलती पनचक्की दिखानां। (भ्रमण) गीतों के माध्यम से पर्यावरण खेल क्रियाएं अथवा परियोजना की : रचना करते रहने से बाल शिक्षकों को शिक्षण सामग्री का कभी भी अभाव . न रहेगा और रचनात्मक पाठ्यक्रम का निमार्ण वे स्वयं कर सकेंगे। -सिद्ध यों को ग्रहण कर पाते हैं। आज के युग में पर्यावरण _ संबंधी चिंताएं विश्वव्यापी हैं इसलिए छोटे बच्चों में पर्यावरण के प्रति सही पौधा और मैं ये छोटा नन्‍्हा सा पौधा बिल्कुल मेरे जैसा है। कितना कोमल कितना छोटा कितना सुन्दर लगता है। में भी छोटा, ये भी छोटा अपना सा ही लगता है। ये छोटा... खाना खांता मेरी तरह, पानी पीता मेरी तरह, जब मैं दाल रोटी खाऊँ, ये खाये मिह्ठी उपजाऊ। खाना पीना छोड़ दें हम तो ये मुरझाये मैं मुरझाऊँ। ये छोटा ... हम दोनों ही खा पीकर जब खूब बड़े हो जाएँगे। में आदमी और ये पेड़ दोस्त-दोस्त कहलाएँगे। एक दूसरे की रक्षा कर, दोनों साथ निभाएँगे। ये छोटा पीधा और मैं / 5 _




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