मोरंगे - जुलाई 2009 | MORANGE - JULY 2009

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लिखा गया है उसमें से कोई एक रचना चुनकर दी जाए। इस बार आप पढ़ेंगे-'मीश्का का दलिया।' 3 मटरगश्ती बड़ी सस्ती इस स्तम्भ में आपके भेजे चुटकुले, पहेलियां आदि छपेंगे। 4 बात ले चीत लै इस स्तम्भ में हर बार कोई एक बात छापी जाएगी। जो घरों में बड़े, बुजुर्गमां-दादी-नानी आदि से सुनने को मिलती हैं। बात कहने के बाद अपने यहां कहते हैं-'बात ले चीत लै,पैला घर की भीत लै, फूटगी तो लीप लै। इसे सुनकर ही हमने इस स्तम्भ का नाम बात ले चीत लै रखने का तय किया। 5 हमने बढ़ायी, अब कुछ तुम बढ़ाओ बात में जोड़ो बात, गीत में कड़ी लगाओ।| इस स्तम्भ में अधूरी रचनाएं पूरी करने का मामला होगा। कहानी और कविता शुरू हमारी संपादकीय टीम कर देगी उसे आगे बढ़ाते हुए पूरा आप करेंगे। और हमें भेज देंगे। हमने सोचा है कि आपकी पूरी करके भेजी हुई रचनाओं को हम इस स्तम्भ में छापा जाए । इनके अलावा सम्पादकीय भी 'मोरंगे”' का एक स्थायी स्तम्भ होगा जिसको नाम दिया है-'पखेरू मेरी याद के' | 'मोरंगे' आपको कैसी लगी हमें जरूर बताना। तेरी मेरी मेरी तेरी बात में आपके पत्रों का हमें इंतजार रहेगा |




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