खुसरो की पहेलियाँ | KHUSRO KI PAHELIYAN
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
410 KB
कुल पष्ठ :
3
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इसी तरह आंख के काजल के लिए शब्दों वाली पहेली :
आदि कटे से सबको पाले, मध्य कटे से सबको मारे
अंत कटे से सबको मीठा, खुसरो वाको आंखें दीठा।
कुछ पहेलियां पक्षियों, कीट - पतंगों, फलों आदि पर भी मिलती है। बंगु के बारे में उन्होने लिखा :
उज्जल बरन आधी तन, एक चित्त दो ध्यान।
देखत में तो साधु है, पर निपट पाप की खान।
फलों पर गुनगुन करने वाले काले भोरे के बारे में उन्होंने कहा :
श्याम बरन पीताम्बर बांधे, मुरलीधर नहीं होय,
बिन मुरली वह नाद करत है बिरला बूझे कोय।
काली काली जामुन पेड़ पर लदी हुई कितनी सुंदर लगती हैं! खुसरो ने एक पहेली जामुन के बारे
में कही :
काजल की कजरोटी ऊधो का श्रंगार,
डरी डार पर मेना बेठी, है कोई बूझनहार ?
खेत में लगे मक्का के भुट्टे की पहेली :
आगे आगे बहना आई, पीछे पीछे भेया,
दांत निकाल बाबा आए, बुरका ओढ़े मेया।
फट बुरी होती है, इससे हमारी एकता भंग होती है। दो दोस्तों में फट पड़ जाए या घर के लोगों में
लड़ाई हो जाए तो घर नष्ट हो जाता है। लेकिन फूट नाम का फल जो खेत में उगता है, उसे सभी खाते
हैं। खुसरो ने एक ही पहेला में इन दोनों बातों को बड़ी सफाई के साथ कह दिया :
खेत में उपजे सब कोई खाय, घर में होए घर खा जाय।
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