नन्हे हाथ लिखना सीखने की ओर | NANHE HAATH LIKHNA SEEKHNE KI ORE

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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मुहम्मद उमर -MUHAMMAD UMAR

2010 से राजस्थान के अजीम प्रेमजी फाउंडेशन में गणित के लिए एक संसाधन व्यक्ति के रूप में कार्यरत

.

एसआईईआरटी उदयपुर, राजस्थान (आईजीआईजी राजस्थान) में शिक्षाशास्त्र और पाठ्यक्रम विशेषज्ञ
एकलव्य में अनुसंधान सहयोगी गणित - शैक्षिक अनुसंधान और नवाचार संस्थान, होशंगाबाद, मध्य प्रदेश।
जागृति बाल विकास समिति, कानपुर, उत्तर प्रदेश में गणित और विज्ञान शिक्षक।
आईआईटी कानपुर में सामाजिक परिवर्तन के लिए एक थिएटर ग्रुप, जन चेतना मंच के संस्थापक सदस्य
...के रूप में भी काम किया |

संपर्क नंबर: 9001565000

ई-मेल आईडी: [email protected]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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करते हुए देखा करता था। वह बात उसके दिमाग में रही और इतने दिनों बाद एक दिन अपनी कॉपी में उसने कसरत करते चाचा की तस्वीर बना डाली और पास आकर दिखाते हुए बोला, “देखो मम्मी, चाचा कसरत कर रहे हैं।” बच्चे के अनुभवों को, सीखने की प्रक्रिया में इस्तेमाल करने की बात हम सब करते रहते हैं, लेकिन ऊपर दिए गए कुछ उदाहरण देखें तो हम पाएँगे कि बच्चे तो ऐसा ही करते हैं। वे अपने अनुभवों के आधार पर ही कुछ रचते या गढ़ते हैं। यदि उन्हें अपने आप कुछ काम करने को दिया जाए और उनकी उतनी ही मदद की जाए जितना कि वे चाहते हैं तो प्रायः ऐसा ही होता है। समस्या तब आती है जब हम कुछ चीज़ें अपने तरीकों से करवाना चाहते हैं तथा अपनी अपेक्षाएँ उन पर थोपने लगते हैं। दक्षता विकास के लिए अभ्यास दिता इस पृष्ठ पर अंकित आकृतियों को देखने और पहत्ानने के पर्याप्त अवसर दीजिए ख्था अभ्यात्त कराने की दृष्टि से इन्हें स्‍्लेंट, काशणज या रेत घर बार-आर बनकाएँ। का मानना है कि ऐसा करना बहुत ज़रूरी है | इसके कुछ कारण जो गिनाए जाते हैं: 1. बच्चे को कलम पकड़ना आएगी। 2. उसके हाथों की उन माँसपेशियों का विकास होगा जो कलम पर शायद हम सभी ने अपने बचपने में विद्यालय आने के अपने शुरुआती दिनों में खड़ी लकीर, लेटी लकीर, आधे गोले तथा पूरे गोले बनाने का काम किया है। आज भी बहुत-से लोगों 44 नियंत्रण बनाने में काम आती हैं। 3. इन आकृतियों से ही सभी अक्षर बनते हैं। अतः ये आधारभूत आकृतियाँ बनाना आना बहुत आवश्यक है। इनके अभ्यास से शैक्षणिक संदर्भ अंक-22 (मूल अंक 79)




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