कितनी जमीन | KITNEE ZAMEEN
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
127 KB
कुल पष्ठ :
14
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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लियो टॉलस्टॉय -Leo Tolstoy
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गया, क्योंकि कोई सबूत और गवाह ही नहीं थे। दीना इस बात पर और भी झलला उठा और
अपना गुस्सा मजिस्ट्रेट पर उतारने लगा।
इस तरह दीना का अपने पड़ोसियों और अफसरों से मनमुटाव होने लगा, यहांतक कि उसे घर में
भी आग लगाने की बातें सुनी जाने लगीं। हालांकि दीना के पास अब जमीन ज्यादा थी और
जमींदारों में उसी गिनती थी, पर गांव में और पेचों में पहला-सा उसका मान न रह गया था।
इसी बीच अफवाह उड़ी कि कुछ लोग गांव छोड़-छोड़कर कहीं जो रहे हैं।
दीना ने सोचा कि मुझे तो अपनी जमीन छोड़ने की जरुरत है ही नहीं। लेकिन और कुछ लोग
अगर गांव छोड़ेंगे तो चलो, गांव में भीड़ ही कम होगी। मैं उनकी जमीन खुद ले लूंगा। तब
ज्यादा ठीक रहेगा। अब तो जमीन की कुछ तंगी माल्रूम होती है।
एक दिन दीना घर के ओसारे में बैठा हुआ था कि एक परदेसी-सा किसान उधर से गुजरता हुआ
उसके घर उतरा। वह वहां रात-भर ठहरा और खाना भी वहीं खाया। दीना ने उससे बातचीत की
कि भाई, कहां से आ रहे हो? उसने कहा दरिया सतलज के पास से आ रहा हूं। वहां बहुत काम
है। फिर एक में से दूसरी बात निकली और आदमी ने बताया कि उस तरफ नई बस्ती बस रही
है। उसे अपने गांव के कई और लोग वहां पहुंचे हैं। वे सोसायटी में शामिल हो गये हैं और हरेक
को बीस एकड़ जमीन मुफ्त मिली है। जमीन ऐसी उम्दा है कि उस पर गेहूं की पहली फसल
जो हुई तो आदमी से ऊंची उसी बालें गईं और इतनी घनी कि दरांत के एक काट में एक पूला
बन जाय। एक आदमी के पास खाने को दाने न थे। खाली हाथ वहां पहुंचा। अब उसके पास दो
गायें, छ: बैल और भरा खलिहान अलग।
दीना के मन में भी अभिलाषा पैदा हुई | उसने सोचा कि मैं यहां तंग संकरी-सी जगह में पड़ा
क्या कर रहा हूं. जबकि दूसरी जगह मौका खुला पड़ा है। यहां की जमीन, घर-बार बेच-बाचकर
नकदी बना वहीं क्यों न पहुंचूं और नये सिरे से शुरु करके देखूं? यहां लोगों की गिचपित हुई
जाती है। उससे दिक्कत होती है और तरक्की रुकती है, लेकिन पहले खुद जाकर मालूम कर
आना चाहिए कि क्या बात है, सो बरसात के बाद तैयारी करे वह चल दिया। पहले रेल में गया।
फिर सैकड़ों मील बैलगाड़ी पर और पैदल सफर करता हुआ सतलज के पारवाली जगह पर पहुंचा |
वहां देखा कि जो उस आदमी ने कहा था, सब सच है। सबके पास खूब जमीन है। हरेक को
सरकार की तरफ से बीस-बीस एकड़ जमीन मिली हुई है, या जो चाहे खरीद सकता है। और
खूबी यह कि कौड़ियों के मोल जितनी चाहे, जमीन और भी ले सकता है।
सब जरुरी बातें मालूम करे दीना जाड़ों से पहले-पहल घर लौट आया। आकर देश-छोड़ने की बात
सोचने लगा। नफे के साथ उसने सब जमीन बेच डाली। घर-मकान, मवेशी-डंगर सबकी नकदी
बना ली और पंचायत से इस्तीफा दे दिया और सारे कुनबे को साथ ले सतलज-पार के लिए
रवाना हो गया।
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