खूब लडी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी | KHOOB LADI MARDANI WO TO JHANSI WALI RANI THI

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सुभद्रा कुमारी चौहान - Subhadra Kumari Chauhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8/23/2016 विजय मिली पर अंग्रेजों की, फिर सेना घिर आई थी अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुहँ की खाई थी काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी युद्ध श्रेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी पर पीछे हयूरोज़ आ गया, हाय घिरी अब रानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार घोड़ा अड़ा नया घोड़ा था, इतने में आ गये सवार रानी एक शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार पर वार घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीरगति पानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी रानी गयी सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुष नहीं अवतारी थी हमको जीवित करने आयी, बन स्वतंत्रता नारी थी दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी जाओ रानी याद रखेंगे हम कृतज्ञ भारतवासी यह तेरा बलिदान जगायेगा स्वतंत्रता अविनाशी होये चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झांसी तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी शीर्ष पर जाएँ 44




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