टक टक | TAK TAK - PRATHAM

TAK TAK - PRATHAM by पुस्तक समूह - Pustak Samuhविद्या प्रधान - VIDYA PRADHAN

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विद्या प्रधान - VIDYA PRADHAN

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“ओहो!” चिन्तामणि चिल्ला उठा, “हमें इस पंछी के लिए कोई सही जगह खोजनी होगी। हमें टक-टक पंछी के लिए ऐसी जगह तलाशनी चाहिए जहाँ कोई भी रातभर सोता न हो। मुझे उपाय मिल गया है।”




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