ग्रहण - मिथक और यथार्थ | ECLIPSES - MYTH AND REALITY - VIGYAN PRASAR
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
45
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
नारायण सिंह राणा - NARAYAN SINGH RANA
No Information available about नारायण सिंह राणा - NARAYAN SINGH RANA
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ग्रहण : मिथक और यथार्थ 19
प्राकृतिक आपदाओं और बेबीलोन के शासकों के उत्थान व पतन का रिकॉर्ड
भी तैयार किया था। रिकॉर्ड के रूप में मिट्टी के कुछ फलक ईसा पूर्व आठवीं
सदी तक मौजूद थे | असीरिया और ग्रीकवासियों ने सृष्टि का एक सिद्धांत तैयार
किया था। ग्रीक इतिहासकार हीरोडोटस् ( लगभग 485-425 ईपू) ने
मिलेटसवासी थेलस् का जिक्र किया है, जिसने भविष्यवाणी की थी कि 58 5
ई.पू. में पूर्ण सूर्यग्रहण होगा ।लीडिया और मेडेसवासियों के बीच इस सूर्यग्रहण
के कारण युद्धविराम हो गया था ।|जिस समय ग्रहण लगा , उस समय दोनों सेनाएं
रणभूमि में थीं।
बेबीलोनवासी ग्रहणों को अतिमहत्वपूर्ण शकुन मानते थे। यद्यपि वे ग्रहण
की तिथि और जगह (जहां से ग्रहण आकाश में दिखाई देता है) का ब्योरेवार
रिकॉर्ड करते थे, फिर भी यह संभावना है कि इन घटनाओं को चांद में बदलता
सूर्य' शीर्षक के तहत रिकॉर्ड किया जाता हो। इस शीर्षक का अर्थ (धूल भरी
आंधी' भी हो सकता है।
संख्या के हिसाब से देखा जाए तो सूर्यग्रहण की तुलना में चंद्रग्रहण सबंधी
शकुन ज्यादा हैं।पूर्ण चंद्रगहण को विश्वव्यापी माना जाता था, क्योंकि यह पृथ्वी
के बडे भूभाग से नजर आता था । पूर्ण ग्रहण होने के कारण सब जगह इसका
प्रभाव भी समान माना जाता था। आंशिक ग्रहण की स्थिति में चंद्रमा का एक
हिस्सा (पूर्वी , पश्चिमी , उत्तरी या दक्षिणी) निष्प्रभ हो जाता है और वह हिस्सा
नजर नहीं आता | यह जानकर कि चंद्रमा की किस दिशा के हिस्से पर ग्रहण
का ज्यादा असर होगा , बेबीलोनवासी यह पता लगाते थे कि किस पडोसी राज्य
की स्थिति अच्छी या खराब रहेगी | उनके सार-संग्रह एनुमा अनु एनलिल में
इन विवरणों का उल्लेख है ।चंद्रग्रहण के रिकॉर्ड में वर्ष माह, तिथि, दिन, रात
का पहर, हवा का रुख और ग्रहण लगे चंद्रमा के निकटतम तारे की स्थिति
-- इन सबका ब्योरा रहता था। इन आंकड़ों से शकुन का स्वरूप सुनिश्चित
किया जाता था। उदाहरणस्वरूप , सिमान्नु माह में सुबह से ठीक पहले घटित
एक चंद्रग्रहण के बारे में यह विवरण मिला है
ग्रहण यदि सुबह के प्रहर में है तो रोग फैलेंगे ...। सुबह का प्रहर एलाम
User Reviews
No Reviews | Add Yours...