अप्पू की परेशानी | APPU KI PARESHANI

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कछुए को छोड़कर तुम्हारे पास आएगा। अवसर पाते ही में रस्सी काट दूँगा और कछए को आज़ाद करा दूँगा।” सब ने इस योजना के अनुसार काम किया। शिकारी रास्ते में हिरन को देखकर चौंक गया। वह तुरंत कछुए को जमीन पर रखकर हिरन के पास गया । लेकिन यह क्या! हिरन तो बिजली की तरह भागकर गायब हो गया! शिकारी आश्चर्य से देखता रह गया। फिर मुड़कर कछुए को उठाने गया, तो वह भी गायब! बेचारा शिकारी! निराश होकर घर लौटा | ् रु, जातक कथाएँ 1३ क है कह ॥ 7 है; / ५४४ आर 168॥ ॥148/ 07 1५18 ढक # अप 2121 77 21 दम रपट हा ७8 कथा झरना टीम 2008 पी सरस्वती वी विजयकांती २०]|9181(51॥11 91119859॥ एल एस सरस्वती एस राजलक्ष्मी ॥/॥8110119| +011109101]7




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