प्राथमिक विद्यालय के लिए यूनेस्को की विज्ञानं स्त्रोत पुस्तक | PRATHMIK VIDYALAYA KE LIYE UNESCO KI VIGYAN SANDARBH PUSTAK

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दैनिक प्रयोग में आने वाली सामग्रियों और उपकरणों का इस्तेमाल हुआ; (9) इनमें काफी चर्चा और प्रयोग करने पड़े; (4) इन समस्याओं को कई अलग-अलग तरीकों से हल किया जा सकता था; (5) इनमें कोई पूर्व-निर्देश नहीं थे-'क्या” और “कैसे' प्रयोग किया जाए यह गतिविधि का एक अभिन्‍न अंग था; और (6) प्रत्येक प्रयोग से अन्य विषय-वस्तु के साथ प्रयोग करने का तरीका प्राप्त हुआ। प्रयोग 1 उन सभी क्रियाओं का एक नमूना था जिनमें सामग्रियों के बीच तुलना की जाती है। कौन-सा कपड़ा सबसे अधिक अग्नि-रोधक है? यह पूछने की बजाय प्रश्न हो सकता था “बरसाती बनाने के लिए कौन-सा कपड़ा सबसे उपयुक्त होगा? या “शरीर को गर्म रखने के लिए कौन-सा कपड़ा सबसे अच्छा होगा? या फिर “ठंडा रखने के लिए कौन-सा कपड़ा सबसे अच्छा होगा? आदि। कपड़े की जगह अलग-अलग प्रकार के कागज के टुकड़े हो सकते थे और उनके लिए प्रश्न चुने जा सकते थे जैसे “कौन-सा कागज पानी सोखने के लिए सबसे अच्छा होगा? या 'पार्सल की सुरक्षा के लिए कोननसा कागज सर्वश्रेष्ठ होगा?। इसी प्रकार विभिन्‍न खेलों के लिए उपयुक्तता के आधार अलग-अलग गेंदों की तुलना कर सकते हैं या फिर खिलौने वाली नाव या मेज बनाने के लिए विभिन्‍न प्रकार की लकड़ियों की तुलना की जा सकती है। ठंडा करने की क्षमता के जिए विभिन्‍न पत्तियों की तुजना और बांधने के लिए पौधों के रेशों की तुलना की जा सकती है। इन सभी गतिविधियों में, एक वस्तु की दूसरे के साथ तुलना करने में “ईमानदारी” बरती गई है। यहां “ईमानदारी' से तात्पर्य है तुलना की जाने वाली वस्तुओं की सटीक, पक्षपात रहित जांच-परख करना | शायद आपने कपड़ों की कतरनों के परीक्षण में इस बात को ध्यान में रखा हो और हरेक टुकड़े को एक समान तरीके से ही जलाया हो। इसके लिए आपने एक नाप के कपड़ों के टुकड़ों को एक ही स्थान पर जलाया होगा, जहां हवा का बहाव एक-जैसा हो और जलने की प्रक्रिया पर उसका भिन्‍न असर नहीं पड़े । इस प्रकार आपने अलग-अलग बाहरी घटकों को नियंत्रित किया होगा, अर्थात्‌ आप उन्हें एक-समान रखने का प्रयास कर रहे थे, जिससे कि उनका प्रभाव कपड़ों के सभी नमूनों पर एक समान पड़े। ऐसी समस्याओं में जानबूझकर शब्दों का अर्थ पूर्णतया स्पष्ट नहीं किया जाता है, ताकि परीक्षक स्वयं उस पदार्थ के विशेष गुणधर्म को पहचानने की कोशिश करे। उदाहरण के लिए, समस्या यह होगा कि, 'बरसाती बनाने के लिए कौन-सा कपड़ा उचित होगा? न कि 'किस कपड़े में सबसे कम पानी अंदर रिसेगा?। इस प्रकार समस्या का हल दढूंढ़ना कुछ कठिन, और इसलिए एक सार्थक काम लगता है। प्रयोग ? भी बहुत-सी क्रियाओं में एक है। यहां शुरुआत किसी ऐसी घटना से होती है जिसे वास्तविक रूप में आसानी से देखा और परखा जा सके। वह भी उन्हीं उपकरणों से या समरूप उपकरणों से। यहां “जो देखा है” उसकी व्याख्या पर विशेष जोर है। यद्यपि दैनिक घटनाओं की सरल वैज्ञानिक व्याख्या करना अकसर कठिन होता है, परंतु ऐसी व्याख्या तो दी ही जा सकती है जो वास्तविकता के करीब हो, और प्रमाणों पर खरी उतरती हो । बेहतर व्याख्या की दिशा में यह महत्त्वपूर्ण कदम होगा। बहुत-सी स्थितियों में कई सरल व्याख्याएं संभव होती हैं; जिनका परीक्षण करके, सर्वश्रेष्ठ को चुना जा सकता है। लुढ़कने वाले टिनों की गति में अंतर जानने के लिए आपने कई बातों पर ध्यान दिया होगा, जैसे, उनके अलग-अलग भार, डब्बे के आकार या उनके अंदर के पदार्थों का घनत्व । दिए गए ड॒ब्बों से आप अपने विचारों का परीक्षण एक सीमा तक कर सकते हैं परंतु गति में अंतर का कौन-सा कारण प्रमुख है यह जानने के लिए बेहतर होगा कि आप कुछ अन्य डब्बों में विभिन्‍न पदार्थों को भरकर प्रयोग करें। हालांकि इस गतिविधि का असली उद्देश्य डब्बों की गति में अंतर का सही कारण जानना नहीं है बल्कि नाना प्रकार की संभावनाओं पर विचार करना है। और यह समझना है कि कई एक-से उत्तर हो 16 सकते हैं जिनमें बहुतों को त्यागने की अनिवार्यता है। यही वैज्ञानिक गतिविधि का सार है (जिसकी चर्चा अध्याय 1 में की गई है)। वस्तुतः समझ तब विकसित होती है जब विचारों को परिमार्जित किया जाता है, और प्राप्त प्रमाण विचारों का सत्यापन करते हैं। बच्चे इसी प्रकार अन्य सामान्य घटनाओं की भी जांच कर सकते हैं। उनके अवचेतन मन में वयस्कों की भांति सवालों के धुंधलाए-से 'सही” उत्तर नहीं होते। उदाहरण के लिए, वयस्कों को इस बात की अस्पष्ट जानकारी होती है कि अचानक बारिश या तूफान के आने पर खिड़कियों के शीशे पर ओस की बूंदें क्‍यों जम जाती हैं ? इस घटना के कारणों पर बच्चों के कई मत होंगे जो शायद हमको अटपटे लगें। परंतु इन मतों की जांच के लिए हमें सही और “ईमानदार प्रयोग करने चाहिए। टिन के खाली डब्बे में बर्फ डाल कर इस घटना के प्रभाव को पैदा किया जा सकता है। परंतु डब्बे का लेबल हटा दिया जाए जिससे कि उसका चमकीला भाग दिखने लगे । प्रयोग 3 में एक ऐसी विधि की चर्चा है जिसको अलग-अलग प्रकार की सामग्री के साथ उपयोग में लाया जा सकता है। दरअसल, ज्ञान के विस्तार का पहला कदम है प्रश्न पूछना। यह प्रवृत्ति हमें अपने अज्ञान से अवगत कराती है और ज्ञान के विस्तार का पथ प्रशस्त करती है। सजीवों से इतर, अन्य वस्तुओं जैसे चट्टानों, कंकड़ों और सीपियों, चिड़ियों के घोंसलों, मधुमक्खियों के छत्तों (पुराने छोड़े हुए), या कोई पुराना औजार या मशीन जो अब उपयोग में नहीं लाया जा रहा हो, के बारे में भी ऐसे प्रश्न पूछे जा सकते हैं। परंतु हरेक ऐसे प्रश्नों का वैज्ञानिक परीक्षण संभव नहीं होगा क्योंकि इसके लिए अतिविस्तृत क्षैत्र पर ध्यान देना होगा। आगे अध्याय 8 में प्रश्नों के प्रकार और उनके माध्यम से परीक्षण पर विशेष चर्चा होगी। प्रश्नों पर सामूहिक चर्चा निम्न बातों के कारण बहुत महत्त्वपूर्ण है : (1) इससे हरेक को लगता है कि मात्र वही अज्ञानी नहीं है, बल्कि हर कोई कुछ नया सीखने को उत्सुक है; (2) अन्य लोगों की टिप्पणियों, या पूर्व ज्ञान से, कुछ प्रश्नों के उत्तर तुरंत मिल जाते हैं; (8) दूसरों को प्रश्न समझाते समय जो प्रइन थोड़े अस्पष्ट होते हैं उनमें स्पष्टता आ जाती है, और इससे उत्तर खोजने में मदद मिलती है और (4) तब लोग, अपने प्रश्नों के साथ-साथ शायद दूसरों के प्रश्नों में भी रुचि लेने लगते हैं। प्रश्नों के उत्तर कैसे पाएं? जब इस बात पर चर्चा होगी तो यह पता चलेगा कि कुछ के उत्तर गहन अवलोकनों और अन्वेषणों से मित्र जाएंगे। ये प्रश्न ही वस्तुतः विज्ञान से संबद्ध हैं, तथा इन्हें अन्य प्रश्नों से अलग रखना चाहिए। सीखने के दौरान, सभी प्रकार के प्रश्न पूछने को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। हीं, विज्ञान के अध्ययन में वैज्ञानिक प्रश्नों को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाना चाहिए। प्रयोग 4, पहले तीनों प्रयोगों से अलग है। यह अन्वेषण और परीक्षण पर बल नहीं देता है। इसमें एक वास्तविक समस्या का, साधनों और समय की सीमाओं के अंदर, समाधान ढूंढ़ना है। दरअसल यह तकनीकी समस्या है। आपने अखबार के कागज की मीनार बनाने में अवश्य ही ढांचों और सामग्री की कुछ जानकारी इस्तेमाल की होगी (मिसाल के लिए आपको शायद पता होगा कि कागज की एक तह इतनी मजबूत नहीं होगी परंतु उसे मोड़कर आप मजबूती प्रदान कर सकते हैं )। आपके सामने एक निश्चित लक्ष्य था और उस तक पहुंचने में कई अड़चनें भी थीं। एक निश्चित समय सीमा मैं आपने निर्धारित भार सहनेवाली मीनार बनाकर समस्या का हल खोज निकाला | हो सकता है आपकी बनाई हुई मीनार देखने में बहुत सुंदर और पुख्ता न हो। तकनीकी का यूल्र तत्व है-निर्धारित सीमाओं में, समस्या के समाधान के लिए जो संभव हो वह करना ।




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