पढो समझो और करो | PADHO SAMJHO AUR KARO
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar
He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कुन्तीका घर्म-प्रेम और त्याग
लें, ऐसा अधर्म हमसे कमी नहीं हो सकता |?
कुन्तीने समझाकर कहा---(पण्डितजी | आप जरा भी चिन्ता
न करें | मेरा लड़का भीम बडा बडी है | उसने अबतक कितने
ही राक्षसोंकी मारा है। वह अवह्य इस राक्षसकों भी मार देगा।
.. फिए मान ढीजिये, कदाचित् वह न भी मार सका तो क्या होगा ।
मेरे पॉचमें चार तो बच ही रहेंगे। हम छोग सव एक साथ रहकर
, एक ही पस्वारके-से हो गये हैं | आप इंद्ध हैं, वह जवान है ।
फिर हम आपके आश्रयमे रहते हैं | ऐसी अवस्थामें आप इृद्ध और
पूजनीय होकर भी राक्षसके मुँहमें जायेँ और मेरा छड़का जवान
और बलवान होकर घरमें मुँह छिपाये बैठा रहे, यह कैसे हो
सकता है ?
ब्राह्मण-पस्ारने किसी तरह भी जब दुन्तीका प्रस्ताव स्वीकार
नहीं किया, तब वुन्ती देवीने उन्हें हर तरहसे यह विश्वास दिलाया कि
भीमसेन अवश्य ही राक्षषको मारकर आवेगा और कहा कि
“मूदेव | आप यदि नहीं मानेंगे तो मीमसेन आपको बल्पूर्वक रोककर
चला जायगा | में उसे निश्चय भेजूँगी और आप उसे रोक
नहीं सकेंगे [?
तब छाचार होकर ब्राह्मणने कुन्तीका अनुरोध स्त्रीकार किया।
माताकी आज्ञा पाकर भीमसेन बड़ी प्रसन्नतासे जानेको तैयार
हो गये | इसी बीच युधिष्ठिर आदि चारों माई छौठकर घर पहुँचे।
युधिष्ठिले जब माताकी बात छुनी तो उन्हें बड़ा दुःख 'हुआ और
उन्होंने माताको इसके लिये उछाहना दिया | इसपर कुन्तीदेवी बोलीं--..
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