पढो समझो और करो | PADHO SAMJHO AUR KARO

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हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar

He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कुन्तीका घर्म-प्रेम और त्याग लें, ऐसा अधर्म हमसे कमी नहीं हो सकता |? कुन्तीने समझाकर कहा---(पण्डितजी | आप जरा भी चिन्ता न करें | मेरा लड़का भीम बडा बडी है | उसने अबतक कितने ही राक्षसोंकी मारा है। वह अवह्य इस राक्षसकों भी मार देगा। .. फिए मान ढीजिये, कदाचित्‌ वह न भी मार सका तो क्या होगा । मेरे पॉचमें चार तो बच ही रहेंगे। हम छोग सव एक साथ रहकर , एक ही पस्वारके-से हो गये हैं | आप इंद्ध हैं, वह जवान है । फिर हम आपके आश्रयमे रहते हैं | ऐसी अवस्थामें आप इृद्ध और पूजनीय होकर भी राक्षसके मुँहमें जायेँ और मेरा छड़का जवान और बलवान होकर घरमें मुँह छिपाये बैठा रहे, यह कैसे हो सकता है ? ब्राह्मण-पस्ारने किसी तरह भी जब दुन्तीका प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया, तब वुन्ती देवीने उन्हें हर तरहसे यह विश्वास दिलाया कि भीमसेन अवश्य ही राक्षषको मारकर आवेगा और कहा कि “मूदेव | आप यदि नहीं मानेंगे तो मीमसेन आपको बल्पूर्वक रोककर चला जायगा | में उसे निश्चय भेजूँगी और आप उसे रोक नहीं सकेंगे [? तब छाचार होकर ब्राह्मणने कुन्तीका अनुरोध स्त्रीकार किया। माताकी आज्ञा पाकर भीमसेन बड़ी प्रसन्‍नतासे जानेको तैयार हो गये | इसी बीच युधिष्ठिर आदि चारों माई छौठकर घर पहुँचे। युधिष्ठिले जब माताकी बात छुनी तो उन्हें बड़ा दुःख 'हुआ और उन्होंने माताको इसके लिये उछाहना दिया | इसपर कुन्तीदेवी बोलीं--.. ( १५ )




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