सकल बन ढूँढू : एक संगीतज्ञ | SAKAL BAN DHOONDO : EK SANGEETAK
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
120 KB
कुल पष्ठ :
3
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
श्रीलाल शुक्ल - shreelal shukl
No Information available about श्रीलाल शुक्ल - shreelal shukl
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)8/11/2016
क्षितिज के आस-पास आ गईं। कुछ को मजदूरों की बस्तियों में जाने का हुक्म मित्र गया। ये तो सब आपके हुक्म
की बॉदियाँ हैं। जहाँ चाहिए, वहा चली जाएँगी। क्यों सुरमादेवी?
सब सुरमादेवी के मुँह की ओर देखने लगे, तब उन्होंने धीरे-से मुस्करा कर कहा, 'हुकुम की क्या बात है, यह तो
देश-देश के रिवाज पर चलता है। अपने देश में जंगल का ही चलन है, तो मयूर जी क्या करें? अपने यहाँ तो घर है,
या जंगल है और है ही क्या? यह तो देश-देश पर है।'
इस पर बाबा अंबिकानंदनशरण ने अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए गदगद कंठ से कहा, धन्य है! धन्य है! अब इसी
बात पर देस का आलाप हो जाय प्रभू। धन्य है! धन्य है!'
शीर्ष पर जाएँ
33
User Reviews
No Reviews | Add Yours...