बोरी का पुल | BORI KA PUL - NBT

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सुरेखा पणनदीकर - SUREKHA PANANDIKAR

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कार्निवाल में माता-पिता की अनुमति लेनें में जोज़े को कोई कठिनाई नहीं हुई। जब दीदी गाड़ी लेकर आयीं तो जोजे तैयार खड़ा था। दो घंटे के सफर के बाद वे दीदी की मित्र के घर पहुंचे । घर की पहली मंजिल की गैलरी से वे जुलूस देखने वाले थे। चारों तरफ उत्साह था। सड़कों पर भीड़ थी। सुंदर कपड़ों में सजे लोग जुलूस देखने आये थे। जब जुलूस शुरू हुआ तो लोगों का उत्साह अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया। ...., गायकों के समूह आये, उनके पीछे नर्तकों की टोली। काले सूट और टोपी पहने लड़के “आगे पोरी' गा रहे थे, तो बालों में फूल सजाकर अपने रंगबिरंगे घाघरे (स्कर्ट) फहराती लड़कियां झूम रही थीं और दर्शक तालियों से ताल दे रहे थे। द फिर आये कुछ नर्तक जो गोवा का लोकप्रिय लोक-नृत्य 'देखणी' नाच रहे थे और उनके बाद नर्तकों की एक ओर टोली झूमती हुई आयी। एक के पीछे एक आकर नर्तक ताल और रंगों का अनोखा संगम बना रहे थे। नर्तकों और गायकों को जुलूस में मस्ती में नाचते-गाते देख कर जोजे रोमांचित हो उठा। जैसे-जैसे रफ्तार बढ़ती गयी, दर्शक भी तालियां बजाकर झूमने लगे। तभी राजा “'मोमो'” के पधारने की घोषणा हुई। सबकी नजरें झांकी की तरफ मुड़ीं जिस पर राजा 'मोमो”! और उसकी रानी बैठे थे। राजा ने सुनहरे जालवाली नीले रंग की साटिन की पोशाक पहनी हुई थी और रानी गुलाबी रंग की चांदी की जालवाली पोशाक में सज रही थी। दोनों के सिर पर




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