संगतराश होफुस | SANTRASH HOFUS - EK JAPANI LOKKATHA

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बाहर बैठ जाता. वह ड़बते सर्य को देखता, उस समय वह यह गीत गाता उची हैं यह पर्वतमाल्रा ऊपर गगन बहत विशालत्र, होफुस क्‍यों हैं डतनना छोटा; मन में आता यही ख्यात्र: एक दिन अपने ठेले पर बहत सारे पत्थर रख कर वह पहाड़ से नीचे आया और नगर की ओर चल दिया. नगर में एक राजकमार का संदर और विशाल महल था “में होफस है, एक संगतराश,” उसने महल के सिपाही से कहा, “महल के माली ने यह पत्थर मंगवाये हैं.” इन्हें अंदर बाग में ले जाओ,” सिपाही ने कहा.




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