नये चित्र | NAYE CHITRA

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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सत्येन्द्र शरत - SATYENDRA SHARAT

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ऋष्णा सोबती कृष्णा सोबतीका जन्म पजाब॒के एक सम्पन्न परिवार हुआ । बचपन चनाबके किनारे सुम्दरसे गॉवम बीता आर शिक्षा दिल्ली, शिमलछा और लाहौरमे हुई । कृष्णा सोबतीके व्यक्तित्व ओर साहित्यके दो प्रधान गुण है--- जिजासा ओर सवेद्ना | जिजासाने उन्हे अपने पात्रोक्े मनमे गहरे पेठनेकी प्रेरणा दी है, और सबेदनाने उन पात्रोके अन्तरतमकी भावनाओका वास्तविक, मानवीय ओर मर्म-स्पर्शों निरूपण करनेकी क्षमता दी है | आपकी कहानियाँ पाठककी फ़्छके समान मृदुल ओर छुन्दमय जगत्‌म ले जाती है, जो एकदम छुईसुई होते हुए भी किसी अज्ञात और अद्भुत विधानसे सन्तुल्ति है। कथानक नगहे आधुनिक शहरके उच्च सब्यवगीय जीवनसे उठाया गया हो, चाहे पजाबके सुदूर गॉवके, उसके चित्रीकरणम वही साठगी, वही करुणा और बही गीतिमयता प्रकट होती है | सोबतीजी की प्रत्येक रचनामे एक मन्धर सडद्जीतकी अनुगेंज विद्यमान है, जिसका आविभांब मानवीय भावनाओके अन्तद्वन्दसे होता है । आप बहुत कम लिखती है, लेकिन जो कुछ भी लिखा है प्रथम श्रेणीका है। (सिक्का बदल गया), दो बूँद ऑस”, “बदली वरस गई”, नया दिन, 'ढादी अम्मा, बादलोके घेरे', “डारसे व्रिछुड़ी! आडि कहानियाँ हमारे कण-साहित्यकी निधि हैं |




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