एक निराली रस्सा - कशी | NIRALI RASSA-KASHI
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
49
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“नमस्कार हाथी,” यहाँ भी खरगोश ने बड़ी विनमता से बात की.
हाथी ने खरगोश को देखा, अपनी संड उठाई और अकड़ कर
बोला, “किस से बात कर रहे हो? मझ से? तम तो इतने छोटे हो कि
दिखाई भी नहीं पड़ते. तमने मझ से बात करने का साहस कैसे
किया?”
“अगर रस्सा-कशी के मुकाबले में में आपको हरा दूं तो क्या आप
मझे अपने समान ताकतवर मान लेंगे?” खरगोश बोला
“हो...हो...हो...क्या बात है? ऐसा चटकला तो मैं आज पहली बार
सुन रहा हु ” हाथी ने जोर से हसते हए कहा, “तम मझे हराओगे?
रस्सा-कशी में? में तमसे छह हज़ार गना बड़ा हू और अरब ग॒ना
अधिक ताकतवर ह्.
“शायद मेरी ताकत आपको दिखाई नहीं दे रही,” खरगोश बोला
वो अपनी हंसी रोक न पा रहा था. “क्या आप मेरे साथ मकाबला
करेंगे?
उसकी बात सन हाथी ने बड़े अभिमान के साथ कहा, “हाँ में
मकाबला करूंगा. ऐसा सरल मकाबला तो मैंने आज तक नहीं किया.”
“मेरे पास यह लंबा, मज़बत रस्सा है. इसे आप पकड़ लें. में
दरिया की ओर जाऊँगा. वहां पहुँच कर मैं रस्से को एक झटका दूँगा
आप समझ लेना कि मैं तैयार हूँ. आप रस्सा खींचना. मुकाबला शुरू
हो जाएगा. अगर आप खींच कर मझे जंगल के बीच यहां ले आये हे
आप की जीत होगी. लेकिन अगर मैंने आपको दरिया तक खींच लिया
तो मेरी जीत होगी. तब आपको स्वीकार करना पड़ेगा कि में भी
आपके समान शक्तिशाली हूँ ” खरगोश ने कहा.
User Reviews
No Reviews | Add Yours...