प्राणी शास्त्र | PRANI SHASTRA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
51 MB
कुल पष्ठ :
373
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
एन० रिकाव - N. RIKAV
No Information available about एन० रिकाव - N. RIKAV
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
वी० शलायव - V. SHALAYEV
No Information available about वी० शलायव - V. SHALAYEV
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand).]
हैं। घोड़ों, गदहों, वैलों और भैंसों का उपयोग यातायात और खेती के काम में
किया जाता है। द
बहत-से वन्य प्राणी भी उपयोगी होते हैँ।
मछली और कुछ वन्य पक्षियों ( बत्तखों , हंसों) का मांस खान में प्रयोग
किया जाता है। फ़रदार प्राणियों ( गिलहरियों , लोमडियों, सैबलों ) से हमें
हे
आकृति १-कैंकर-तितली और इसकी
इल्लियों के शीतकालीन घोंसले।
गरम, खूबसूरत फ़र मिलती है। बहुतसे पक्षी (सारिका, अबाबील, ठामटिट )
हानिकर कीटों का नाश कर देते हैं।
प्राणियों का सफल उपयोग करने के लिए उनकी आवश्यकताएं जानना जरूरी
है। उदाहरणार्थ , वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि मुर्गी के अ्रंडों का कवच तभी
सख्त हो सकता है जब मुर्गी की खुराक में चूनें का अंश हो। यह सिद्ध किया गया है
कि केवल अनाज मुग्गगियों के लिए काफ़ी खुराक नहीं है; उन्हें प्राणिज खुराक
( केंचुआ, सूखा मांस) भी मिलनी चाहिए। तभी मृुग्गियां काफ़ी अंडे दे
सकती हैं।. ड़
१६
User Reviews
No Reviews | Add Yours...