प्राणी शास्त्र | PRANI SHASTRA

PRANI SHASTRA by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaएन० रिकाव - N. RIKAVवी० शलायव - V. SHALAYEV

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एन० रिकाव - N. RIKAV

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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वी० शलायव - V. SHALAYEV

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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.] हैं। घोड़ों, गदहों, वैलों और भैंसों का उपयोग यातायात और खेती के काम में किया जाता है। द बहत-से वन्य प्राणी भी उपयोगी होते हैँ। मछली और कुछ वन्य पक्षियों ( बत्तखों , हंसों) का मांस खान में प्रयोग किया जाता है। फ़रदार प्राणियों ( गिलहरियों , लोमडियों, सैबलों ) से हमें हे आकृति १-कैंकर-तितली और इसकी इल्लियों के शीतकालीन घोंसले। गरम, खूबसूरत फ़र मिलती है। बहुतसे पक्षी (सारिका, अबाबील, ठामटिट ) हानिकर कीटों का नाश कर देते हैं। प्राणियों का सफल उपयोग करने के लिए उनकी आवश्यकताएं जानना जरूरी है। उदाहरणार्थ , वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि मुर्गी के अ्रंडों का कवच तभी सख्त हो सकता है जब मुर्गी की खुराक में चूनें का अंश हो। यह सिद्ध किया गया है कि केवल अनाज मुग्गगियों के लिए काफ़ी खुराक नहीं है; उन्हें प्राणिज खुराक ( केंचुआ, सूखा मांस) भी मिलनी चाहिए। तभी मृुग्गियां काफ़ी अंडे दे सकती हैं।. ड़ १६




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